हमारे सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। वहीं कुछ अवधि ऐसी भी होती है जब शुभकार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। इस अवधि में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह,मुंडन,सगाई,गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रतउद्यापन आदि वर्जित रहते हैं। शुभ एवं मांगलिक मुहूर्त के निर्धारण में शुक्र के तारे का उदित स्वरूप में होना बहुत आवश्यक है। शुक्र के तारे के अस्त होने पर किसी भी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्यों के मुहूर्त नहीं बनते। आइए जानते हैं वर्ष 2021 में किस अवधि में शुक्र का तारा अस्त स्वरूप में रहेगा-
शुक्र के तारे की अस्तोदय अवधि-
-फरवरी संवत् 2077 माघ शुक्ल तृतीया दिन रविवार दिनांक 14 फरवरी 2021 को तृतीया को शुक्र का तारा पूर्व दिशा में अस्त हो गया है जो संवत् 2078 चैत्र शुक्ल षष्ठी दिनांक 18 अप्रैल 2021 दिन रविवार को उदित होगा।
विवाह मुहूर्त में है शुक्र की महत्वपूर्ण भूमिका-
हमारे शास्त्रों में विवाह हेतु शुद्ध मुहूर्त के चयन व निर्धारण में शुक्र को अति-महत्वपूर्ण माना गया है। शुक्र को नैसर्गिक भोग-विलास व दाम्पत्य का कारक माना गया है। यदि विवाह वाले दिन शुक्र का तारा अस्त हो तो शास्त्रानुसार विवाह करना वर्जित माना जाता है।