आइए जानते हैं पूजा विधि और शिव मंत्र-
धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत की बहुत महिमा बताई गई है। इस दिन सच्चे मन से प्रदोष काल में भगवान शिव जी की पूजा करने से समस्त कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन भोलेनाथ जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत पूरे मन से करना चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है तथा चंद्र ग्रह के दोष दूर होते है। जिन जातकों के कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें सोम प्रदोष व्रत अवश्य ही करना चाहिए। यह व्रत सर्व सुखों को देने वाला माना गया है। अत: चैत्र के महीने में इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है, इस दिन व्रतधारी को सुबह स्नान करने के बाद शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
पूजन के समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगा जल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं। त्रयोदशी के दिन सायंकाल यानी प्रदोष काल में भी पुन: स्नान करके सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिव जी का पूजन करना चाहिए।
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
- ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।