वैशाख अमावस्या के मुहूर्त, महत्व और उपाय

WD Feature Desk

गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 (10:10 IST)
2025 Vaishakh Amavasya: वर्ष 2025 में वैशाख अमावस्या रविवार, 27 अप्रैल को मनाई जा रही है। इसे दर्श अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन दान, पूजा और अन्य धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। वैशाख अमावस्या को धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, दान-पुण्य करना और जरूरतमंदों की सहायता करना फलदायी होता है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विभिन्न प्रकार के उपाय किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य पितरों को प्रसन्न करना, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करना होता है।ALSO READ: हिन्दू मास वैशाख माह के व्रत त्योहारों की लिस्ट

आइए यहां जानते हैं पूजन के मुहूर्त, इस अमावस्या का महत्व और कुछ प्रमुख उपाय...
 
वैशाख अमावस्या 2025 पर पूजन के मुहूर्त...
 
वैशाख कृष्ण अमावस्या की तिथि प्रारंभ: 27 अप्रैल 2025, रविवार को सुबह 04 बजकर 49 मिनट से, 
अमावस्या तिथि का समापन: 28 अप्रैल 2025, सोमवार को रात 01:00 बजे होगा।
27 अप्रैल को अमावस्या तिथि पूरे दिन रहेगी। 
 
वैशाख अमावस्या का महत्व: हिन्दू धर्म में वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व है। यह दिन पितरों/पूर्वजों को समर्पित है। इस दिन को पितरों की पूजा और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने, तर्पण करने और पिंडदान करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अमावस्या तिथि को नकारात्मक ऊर्जा प्रभावी मानी जाती है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्ति में सहायक माने जाते हैं।ALSO READ: वैशाख मास का महत्व और इस माह के अचूक 5 उपाय
 
वैशाख अमावस्या के 10 खास उपाय :
 
1. पितृ तर्पण और पिंडदान: इस दिन सुबह स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण करें। जल में काले तिल, जौ और कुशा मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को अर्पित करें। यदि संभव हो तो पिंडदान भी करें।
 
2. घर की सफाई: अमावस्या के दिन घर को अच्छी तरह से साफ करें और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए नमक के पानी से पोंछा लगाएं।
 
3. पवित्र नदी में स्नान: यदि संभव हो तो गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करें। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
 
4. भगवान विष्णु की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। उन्हें पीले फूल, फल और मिठाई अर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
 
5. पीपल के वृक्ष की पूजा: पीपल के वृक्ष में पितरों का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं, दीपक जलाएं और उसकी परिक्रमा करें।
 
6. केसर और लौंग का दीपक: माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घी के दीपक में केसर और दो लौंग डालकर जलाएं।
 
7. हनुमान जी की पूजा: शनि के बुरे प्रभावों से बचने के लिए इस दिन हनुमान जी की पूजा करना भी लाभकारी माना जाता है। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
 
8. काले तिल का दान: शनि दोष निवारण के लिए काले तिल का दान करना शुभ माना जाता है।
 
9. दान-पुण्य: अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, जूते-चप्पल, छाता या धन का दान करें।
 
10. दीपक जलाना: शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं।
 
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