* मंगल, शुक्र का परस्पर दृष्टि प्रेम विवाह का परिचायक है।
* पंचम या सप्तम भाव में सूर्य एवं हर्षल की युति होने पर भी प्रेम विवाह हो सकता है।
इस प्रकार के योग यदि जन्म कुंडली में होते हैं, तब प्रेम विवाह के योग बनते हैं। यह जरूरी नहीं है कि प्रेम विवाह मतलब जाति से बाहर विवाह होना। लव मैरिज यानी जहां आपका दिल कहे वहां शादी। तो लव और मैरिज दोनों से पहले अपना होरोस्कोप जरा चैक कीजिए।