जन्मपत्रिका के चतुर्थ भाव, चतुर्थेश व शनि से वाहन सुख का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त वैभव-विलासिता के नैसर्गिक कारक शुक्र का बलवान होना भी अति-आवश्यक है। यदि जन्मपत्रिका में चतुर्थेश अशुभ भावों जैसे छ्ठे, आठवे व बारहवे भावों में स्थित हो एवं चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो व शनि-शुक्र निर्बल हों तो ऐसे जातक को वाहन सुख प्राप्त नहीं होता। यदि चतुर्थ भाव व चतुर्थेश पर राहु की दृष्टि हो तो वाहन बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होते हैं।