25-26 अप्रैल, 2013 की मध्य रात्रि में ग्रहण चैत्र पूर्णिमा, गुरुवार के दिन स्वाति नक्षत्र तुला राशि पर अत्यंत अल्प ग्रास के रूप में दिखाई पड़ेगा। भास्कर आदि कुछ आचार्य नें ऐसे अंगुलाल्प ग्रास वाले ग्रहण को अनदेखा बतलाया है। लेकिन सूर्य सिद्धांत आदि मूल सिद्धांत ग्रंथों में ऐसा नहीं लिखा है।
हम इन मूल सिद्धांत ग्रंथों के प्रमाण पर इस ग्रहण को त्याज्य नहीं मानते। अंगुलाल्प ग्रहण को अनादेश्य मानना अनुचित क्यों है। ग्रहण तो ग्रहण ही है फिर वो चाहे अल्पकालीन ही क्यों न हो आकाश मंडल में दिखेगा ही।
यह ग्रहण भारत, पाकिस्तान, अफ्रीका, बर्मा, यूरोप, चीन, ऑस्ट्रेलिया, इण्डोनेशिया, जापान तथा फीलिपींस में लगभग 32 मिनट के लिए दिखाई पड़ेगा।
ग्रहण स्पर्श का समय
इस ग्रहण के स्पर्श आदि काल भारतीय समयानुसार इस प्रकार है -
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ग्रहण स्पर्श रात 1 बजकर 21 मिनट 25 सेकंड ग्रहण मध्य रात 1 बजकर 37 मिनट 35 सेकंड (25-26 की रात) ग्रहण मोक्ष रात 1 बजकर 53 मिनट 37 सेकंड सूतक- इस ग्रहण का सूतक 25 अप्रैल को 4 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा।
राशिनुसार इसका फल इस प्रकार रहेगा : -
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मेष- जीवनसाथी को कष्ट रहेगा। वृषभ- सुख मिलेगा। मिथुन- चिंता रहेगी। कर्क- कष्ट रहेगा। सिंह- धन लाभ मिलेगा। कन्या- धन की क्षति होगी। तुला- घटना, दुर्घटना का डर रहेगा। वृश्चिक- हानि संभव। धनु- लाभदायक स्थिति रहेगी। मकर- सुख मिले। कुंभ- सम्मान होगा। मीन- अनिष्ट होगा।
अशुभ परिणाम से बचने हेतु गाय को चारा व भूखों को अन्न दान दें।
भारत में कैसा होगा चंद्रग्रहण का असर
भारत में कैसा होगा चंद्रग्रहण का असर
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ग्रहण के समय मकर लग्न मेष नवांश व तुला राशि है। स्वाति नक्षत्र गुरुवार-शुक्रवार की रात्रि में होने से भारत की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। दशम भाव में वक्री शनि के साथ राहु व चंद्र आगामी समय के लिए अच्छा नहीं है।
इन पर मंगल, सूर्य, शुक्र, केतु की भी नजर है और इन चार ग्रहों पर भी शनि, राहु व चंद्र की नजर है। इस कारण पल-पल राजनीति में बदलाव की स्थिति बनेगी। राजनेता लोगों की मानसिक स्थिति भी कुछ भ्रम की रहेगी, एक निर्णय का अभाव देखने को मिलेगा। जनता भी असमंजस में रहेगी।
चुनावी समर में चौंकाने वाले परिणाम नजर आएंगे। सत्ता पक्ष को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। राज्यों के चुनाव भी चौंकाने वाले परिणाम देंगे। शनि-मंगल का दृष्टि संबंध भी भारत की जनता के लिए कुछ ठीक नहीं रहेगा। कहीं दुर्घटना के योग भी बन सकते हैं। सूर्य-शनि का समसप्तक योग भी प्रजा व राजा के लिए ठीक नहीं रहेगा। आगे प्रभु इच्छा।