इस हनुमान जयंती (15 अप्रैल) पर त्रेतायुग जैसा संयोग निर्मित हुआ है। उत्सव सिंधु और हनुमत उपासना कल्पद्रुम नामक ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि हनुमानजी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 85 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा, मंगलवार, चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे हुआ था। तिथि-वार और नक्षत्रों का ऐसा ही संयोग इस बार भी बन रहा है।
त्रेतायुग की तरह भगवान के जन्म के समय जैसा संयोग इस बार बन रहा है। इस बार चैत्र पूर्णिमा के साथ मंगलवार भी होगा। चित्रा नक्षत्र एक दिन पहले 14 अप्रैल को शाम 3.13 बजे लगेगा जो बुधवार सुबह 5.08 बजे तक रहेगा। सूर्य भी एक माह के लिए अपनी उच्च राशि मेष में 14 अप्रैल को शाम 7.32 बजे प्रवेश करेगा। शनि भी अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान है।
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शुभफलदायी रहेगी यह हनुमान जयंती मंगलवार के शुभ संयोग में मनेगी हनुमान जयंती
इस बार हनुमान जयंती मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र, हर्षल योग व बव करण के साथ आ रही है। पंचांगीय गणना के हिसाब से देखें तो तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण का यह संयोग आराधना की दृष्टि से श्रेष्ठ है। इस दिन से शुरू की गई हनुमान आराधना भक्तों को सुख-समृद्घि प्रदान करेगी। साथ ही शनि की ढैया व साढ़ेसाती से प्रभावित जातकों को लाभ होगा।
ग्रह गोचर में जब शनि, मंगल व राहु वक्री चल रहे हों तथा चैत्र मास में पांच मंगलवार का योग हो, ऐसे में मंगलवार के दिन पंचाग के पांच विशिष्ट योग में हनुमान जयंती का आना शुभ है। इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य का मंगल की राशि मेष में परिभ्रमण करना भी हनुमानजी की आराधना के लिए विशेष शुभ माना गया है।
अतः विभिन्न राशि के जातकों को इच्छित फल की प्राप्ति के लिए हनुमानजी की आराधना करना चाहिए।
मिलेगी ग्रह पीड़ा से शांति़ :- हनुमान जयंती पर हनुमानजी को चोला, लाल ध्वज, गुड़ का रोट (मीठी रोटी) चढा़ने, संन्यासियों को भोजन कराने, पीपल के वृक्ष को जल, पशु-पक्षियों को दाना-पानी अर्पित करने से जन्म कालिक शनि, मंगल तथा राहु की खराब स्थिति सुधरती है और ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।