2. लहसुनिया सोना या तांबा की अंगुठी में पहनना चाहिए।
3. कुंडली के किसी भी भाव में अगर मंगल, बृहस्पति और शुक्र के साथ में केतु हो तो लहसुनिया पहनना चाहिए।
4. कुंडली में दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, नवें और दसवें भाव में यदि केतु उपस्थित हो तो लहसुनिया पहनना लाभकारी सिद्ध होता है। हालांकि लाल किताब के अनुसार तीसरे में वर्जित है। केतु त्रिकोण में हो तो अर्थात केतु 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10 भाव में हो लहसुनिया पहनने से फायदा होता है।
3. लहसुनिया के साथ- माणिक्य, मूंगा, पुखराज, मोती वर्जित है।
4. ज्योतिष के अनुसार दोषयुक्त लहसुनिया वैसा ही नुकसान पहुंचाता है, जैसा कि गोमेद।
6. दोषयुक्ति या धारियां, धब्बे, छींटे या छेद युक्त लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए। यह नुकसानदायक होता है।