ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु छाया एवं पापी ग्रह होते हैं। जन्म कुंडली में इनके मध्य में सभी ग्रहों के आ जाने पर अन्य ग्रहों का शुभाशुभ फल प्रभावित हो जाता है अर्थात् शुभ ग्रह भी पाप ग्रह जैसा फल देने लगते हैं।
जब सारे ग्रह राहु-केतु या केतु-राहु के मध्य हों, तब कालसर्प योग कहलाता है। कालसर्प योग प्रायः 12 प्रकार के होते हैं। आइए जानते हैं -