5. चंद्र, मंगल के बाद शुक्र का प्रभाव अधिक होता है। शुक्र संयम, सुख, प्रेम संबंध, यौन रोग तथा अन्य सुखोपयोग का कारक होता है। हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार पुरुष की कुंडली में शुक्र और महिला की कुंडली में गुरु का अधिक महत्व होता है। जिस स्त्री जातक की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है, उसे सामाजिक मान प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से मिलते हैं।
उपाय : महिला अपने गुरु को बलवान रखती है तो निम्नलिखित उपाय की अधिक आवश्यकता नहीं होती। अत: चन्द्र, मंगल, शुक्र स्त्री के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। ऐसे में महिलाओं को उक्त ग्रहों के उपाय हेतु चांदी पहना चाहिए, एकादशी या प्रदोश का व्रत रखना चाहिए, आंखों में काला सुरमा लगाना चाहिए और मंगल के उपाय करना चाहिए। शुक्र के उपाय हेतु खुद को और घर को साफ सुथरा रखते हुए शुक्रवार का व्रत करना और दही से स्नान करना चाहिए। इसके अलावा मेष, सिंह व धनु लग्न वाली स्त्री का विवाह यदि कर्क, वृश्चिक, मीन के पुरुष से हो जाए तो साथ रहना अत्यंति ही कठिन हो जाता है एवं अन्य योग अशुभ हो तो अलगाव निश्चित है।