षष्ठी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता कात्यायनी हैं। शत्रु नाश तथा मोक्ष-शांति देने के लिए माता प्रसिद्ध हैं। इनकी कृपा पाने के लिए निम्न मंत्र जपें-
(1) 'ॐ कात्यायन्यै नम:।'
या
(2) 'ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:।'
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जिन कन्याओं के लिए योग्य वर न मिल रहे हो, वे खुद या विद्वान पंडित से जप करवाएं
मंत्र
या देवि सर्व भूतेषु बुद्धि पति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
या
माता भुवनेश्वरी का चित्र या यंत्र सामने रखकर रक्तपुष्प से पूजन करें। यदि चित्र में यंत्र उपलब्ध न हो तो देवी माता दुर्गाजी का चित्र रखकर निम्न मंत्र की 51 माला नित्य जपें, मनोवांछित प्राप्ति होगी। साथ ही ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।
मंत्र
'ॐ ह्रीं नम:।।'
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माता कात्यायनी वस्तुत: काली का ही रूप हैं, लेकिन उनका ध्यानस्वरूप माता दुर्गा की तरह है। जाने-अनजाने जीवन में कई शत्रु उत्पन्न हो जाते हैं। जिनका निवारण माता काली की पूजन-अर्चन तथा मंत्र जप से हो जाता है। भगवती काली शांति तथा मोक्ष देने वाली हैं। मंत्र निम्नलिखित हैं-