श्रेष्ठ पति के लिए पढ़ें मां दुर्गा का अचूक मंत्र

यदि किसी कुंवारी कन्या के विवाह में अड़चने आ रही हों या मनचाहा वर मिलने में कठिनाई आ रही हो।


 


किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक विलंब हो रहा हो, बाधाएं आ रही हों तो कन्या को स्वयं 21 दिनों तक निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना चाहिए और पाठ के उपरांत इसी मंत्र के अंत में 'स्वाहा' शब्द लगाकर 11 आहुतियां (शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से) देना चाहिए। 
 
मंत्र :
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। 
नंदगोप सुतम् देवि पतिं मे कुरुते नमः॥
 
यह दशांश हवन कहलाता है। 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन देना है, इक्कीस दिनों तक। सिर्फ स्थान, समय और आसन निश्चित होना चाहिए। 
 
इसका अर्थ यह है कि यदि कोई कन्या प्रथम दिन प्रातःकाल 9.00 बजे पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही पाठ आरंभ करना चाहिए। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन वहीं बैठकर पाठ करना चाहिए। 


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वैसे ही प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पाठ आरंभ किया गया हो, उसी आसन पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। 
 
सार यह है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटिए पर बैठकर पाठ करना है, न ही पत्थर की शिला पर बैठकर।

विधि : अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्वीर रखें। कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें।

यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से करें। 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलाएं और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करना चाहिए।

पाठ समाप्त होने पर इसी मंत्र को पढ़ते हुए 'नमः' के स्थान पर 'नमस्वाहा' का उच्चारण करते हुए 11 आहुतियां दें। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस विधि का पालन करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुयोग्य वर प्रदान करती हैं।


 

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