भविष्यपुराण के अनुसार शनिदेव को शनि अमावस्या बहुत प्रिय है। जिन लोगों पर साढ़ेसाती, ढैय्या चल रही हो उन्हें इस अमावस्या पर शनि की साधना करनी चाहिए। शनि की शांति के लिए शनि स्तवराज, शनि स्तोत्र और शनि अष्टक का पाठ तथा शनि के मंत्रों का जाप और शनि की वस्तुओं का दान करना चाहिए, क्योंकि शनि अमावस्या का दिन संकटों से समाधान के लिए बहुत शुभ माना गया है।
शनिवार, 18 नवंबर को शनि अमावस्या के दिन एक विशेष शुभ संयोग 'शोभन योग' निर्मित हो रहा है। यह संयोग न केवल शनि दोषों से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि जीवन के सभी कष्टों को दूर करने में भी सहायक रहेगा। शनि संबंधी सभी दोषों के निवारण करने में शनि मंत्र विशेष रूप से शुभ रहते हैं। अत: शनि अमावस्या अथवा शनिवार के शनि मंदिर में जाकर इन शनि मंत्रों का स्मरण करना चाहिए।