पौष मास के रविवार का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व बताया गया है।
सूर्य यंत्र के प्रकार : सूर्य यंत्र दो प्रकार के होते हैं। प्रथम नवग्रहों का एक ही यंत्र होता है और दूसरा नवग्रहों का अलग-अलग पूजन यंत्र होता है। दोनों यंत्रों के एक जैसे ही लाभ होते हैं।
ठीक बारह बजे जब सूर्य देवता शीर्ष पर हों तब शुद्ध ताजे बने चावल पर दूध डालें। उस पर आधा चम्मच शुद्ध घी डालें, सबसे ऊपर शकर रखें। इस भोग को सूर्य देवता को अर्पित करें। बाद में सूर्य यंत्र की पूजन के पश्चात इसे स्वयं ग्रहण करें।