आयुर्वेद के अलावा भारत की स्थानीय संस्कृति में कई चमत्कारिक पौधों के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलता है। कहते हैं कि एक ऐसी जड़ी है जिसको खाने से जब तक उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। एक ऐसी भी जड़ी-बूटी है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को भूत-भविष्य का ज्ञान हो जाता है। कुछ ऐसे भी पौधे हैं जिनके बल पर स्वर्ण बनाया जा सकता है। इसी तरह कहा जाता है कि धन देने वाला पौधा जिनके भी पास है, वे धनवान ही नहीं बन सकते बल्कि वे कई तरह की चमत्कारिक सिद्धियां भी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या सचमुच होते हैं इस तरह के पौधे व जड़ी-बूटियां जिनको घर या आंगन में लगाने से आपके बुरे दिन समाप्त और अच्छे दिन शुरू हो सकते हैं? कई शास्त्रों में यह पढ़ने को मिलता है कि जड़ी-बूटियों के माध्यम से धन, यश, कीर्ति, सम्मान आदि सभी कुछ पाया जा सकता है। हो सकता है कि आपके आसपास ही हो इसी तरह की जड़ी बूटियां। यदि आप इन्हें घर में ले आएं तो आपको हर तरह की सुख और सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं।
दरअसल, हम आपको बता रहे हैं ऐसे पौधों की जड़ों के बारे में जिनके प्रयोग से आपकी किस्मत बदल सकते हैं। हालांकि यह जड़े किसी जानकार से पूछकर ही घर में लाएं। यहां जो जानकारी दी जा रही है वह भिन्न भिन्न स्रोत से एकत्रित की गई है। हालांकि इसमें कितनी सचाई है यह बताना मुश्किल है। अगले पन्ने पर जानिये इन जड़ों के बारे में...
* बहेड़ा की जड़:- पुष्य नक्षत्र में बहेड़ा वृक्ष की जड़ तथा उसका एक पत्ता लाकर पैसे रखने वाले स्थान पर रख लें। इस प्रयोग से घर में कभी भी दरिद्रता नहीं रहेगी। इसके अलावा पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।
*मंगल्य : मंगल्य नामक जड़ी भी तांत्रिक क्रियानाशक होती है।
* धतूरे की जड़:- धतूरे की जड़ के कई तांत्रिक प्रयोग किए जाते हैं। इसे अपने घर में स्थापित करके महाकाली का पूजन कर 'क्रीं' बीज का जाप किया जाए तो धन सबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
* धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
* काले धतूरे की जड़:- इसका पौधा सामान्य धतूरे जैसा ही होता है, हां इसके फूल अवश्य सफेद की जगह गहरे बैंगनी रंग के होते हैं तथा पत्तियों में भी कालापन होता है। इसकी जड़ को रविवार, मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर रखने से घर में ऊपरी हवा का असर नहीं होता, सुख -चैन बना रहता है तथा धन की वृद्धि होती है।
* मदार की जड़:- रविपुष्प नक्षत्र में लाई गई मदार की जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं।
* मदार की जड़:- रविपुष्प में उसकी मदार की जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी।
* मदार की जड़:- कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।
* हत्था जोड़ी:- हत्था जोड़ी का मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता आदि के निवारण में इसका प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक विधि में इसके वशीकरण के उपयोग किए जाते हैं। सिद्ध करने के बाद इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दिया जाता है। इससे आय में वृद्घि होती है और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।
* बेला की जड़:-विवाह की समस्या दूर करने के लिए बेला के फूलों का प्रयोग किया जाता है। इसकी एक और जाति है जिसको मोगरा या मोतिया कहते हैं। बेला के फूल सफेद रंग के होते हैं। मोतिया के फूल मोती के समान गोल होते हैं। महिला को गुरु की जड़ और पुरुष को शुक्र की जड़ अपने पास रखनी चाहिए।
* चमेली की जड़:- अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे। विष्णुकांता का पौधा भी शत्रुनाशक होता है।
* चंपा की जड़:- हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें। इस उपाय से बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
* शंखपुष्पी की जड़:- शंखपुष्पी की जड़ रवि-पुष्य नक्षत्र में लाकर इसे चांदी की डिब्बी में रख कर घर की तिरोरी में रख लें। यह धन और समृद्धि दायक है।
* तुलसी की जड़:- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर धारण करें। इससे अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।
* दूधी की जड़:- सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
* नीबू की जड़:- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं। इस प्रयोग से उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
* काले एरंड की जड़:- श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें। इस प्रयोग से उसे संतान की प्राप्ति होगी।
* लटजीरा:- लटजीरा की जड़ को जलाकर भस्म बना लें। उसे दूध के साथ पीने से संतानोत्पति की क्षमता आ जाती हैं।
* अपामार्ग के प्रयोग : अपामार्ग बाजीकरण के काम में आती है। इसके भी कई प्रयोग हैं। एक प्रयोग यह है कि अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।
* संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर ताबीज में जड़ दे और इसे गले में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आ
पसे आकर्षित होने लगेंगे।
*उटकटारी:- यदि आप राजनीति के क्षेत्र में तरक्की करना चाहते हैं तो यह जड़ी राजयोग दाता है। इस पौधे को बहुत से लोगों ने देखा होगा। इसके प्रभाव से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है। लेकिन इस पौधे को विधिपूर्वक लाकर पूजा करना होती है।
*रक्तगुंजा की जड़:- रक्तगुंजा को लगभग सभी लोग जानते होंगे। इसे रत्ती भी कहते हैं क्योंकि इसका वजन एक रत्ती के बराबर होता है और किसी समय इससे सोने की तौल की जाती थी। इस पौधे की जड़ रवि पुष्य के दिन, किसी भी शुक्रवार को अथवा पूर्णिमा के दिन निर्मल भाव से धूप-दीप से पूजन कर उखाड़ें और घर में लाकर गाय के दूध से धो कर रख दें। इस जड़ का एक भाग अपने पास रखने से सारे कार्य सिद्ध होते हैं। मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
सुदर्शन की जड़:-
करे सौदर्शनं बध्वा राजप्रियो भवेत्।
सिंही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रिय:।
हाथ में सुदर्शन की जड़ बांधें। तो राजा प्रिय होता है अथवा कांकरासिंही की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर कमर में बाँधें तो राजा (मंत्री, अधिकारी) वश में होता है अथवा राजा का प्रिय हो जाता है।
सिद्धि देने वाली जड़ी-बूटी : गुलतुरा (दिव्यता के लिए), तापसद्रुम (भूतादि ग्रह निवारक), शल (दरिद्रता नाशक), भोजपत्र (ग्रह बाधाएं निवारक), विष्णुकांता (शस्त्रु नाशक), मंगल्य (तांत्रिक क्रिया नाशक), गुल्बास (दिव्यता प्रदानकर्ता), जिवक (ऐश्वर्यदायिनी), गोरोचन (वशीकरण), गुग्गल (चामंडु सिद्धि), अगस्त (पितृदोष नाशक), अपमार्ग (बाजीकरण)।
बांदा (चुम्बकीय शक्ति प्रदाता), श्वेत और काली गुंजा (भूत पिशाच नाशक), उटकटारी (राजयोग दाता), मयूर शिका (दुष्टात्मा नाशक) और काली हल्दी (तांत्रिक प्रयोग हेतु) आदि ऐसी अनेक जड़ी-बूटियां हैं, जो व्यक्ति के सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन को साधने में महत्वपूर्ण मानी गई हैं।
भूख-प्यास को रोके जड़ी : वेदादि ग्रंथों के अलावा कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जड़ी-बूटी, दूध आदि से निर्मित ऐसे आहार का विवरण है जिसके सेवन के बाद पूरे महीने भोजन की जरूरत नहीं पड़ती। कहते हैं कि आंधीझाड़ा से अत्यधिक भूख लगने (भस्मक रोग) और अत्यधिक प्यास लगने का रोग समाप्त किया जा सकता है। अर्थात जो लोग ज्यादा खाने के शौकीन हैं और मोटापे से ग्रस्त हैं वे इस जड़ी का उपयोग कर भूख को समाप्त कर सकते हैं।
इसे संस्कृत में अपामार्ग, हिन्दी में चिरचिटा, लटजीरा और आंधीझाड़ा कहते हैं। अंग्रेजी में इसे रफ चेफ ट्री नाम से जाना जाता है। यह पौधा 1 से 3 फुट ऊंचा होता है और भारत में सब जगह घास के साथ अन्य पौधों की तरह पैदा होता है। खेतों की बागड़ के पास, रास्तों के किनारे, झाड़ियों में इसे सरलता से पाया जा सकता है।