मधु शर्मा कटिहा

स्वतंत्र लेखिका
सुनहरे रंग तुझ जैसे, बिखरे फिर आफताब के,अंगूठी के तेरी नगीने से, चमके रंग महताब के।ओस की बूंदें लुढ़ककर, बिखरी फिर मोतियों सी, बस गए आंखों में वो इक हसीन...