श्वेता मिश्र (लागोस, नाइजीरिया)

एफिल टॉवर को निहारती नजरें। पर खुद में ही खोई हुई हाथों में पेन और डायरी, शायद कुछ लिखने के प्रयास में। पार्क में अकेली बैठी गुहू की तन्द्रा एक आवाज से...
मुझे होने लगा है शब्दों से प्यार तुम करो या न करो मेरा ऐतबार। शब्दों की कलियां खिलने लगी हैं