विशाल डाकोलिया

समर्पण से सत्ता या संग्राम से शहीदी, हे मनुपुत्र तुम चुनाव करो... चाहत कदमबोसी की है, या फूंकोगे रणभेरी, हे पार्थ तुम चुनाव करो... कदमों के नीचे मखमली...
भाजपा की सभी इस बात पर खिंचाई करते हैं कि उसके नेता मुखर होकर अपने अंतर्विरोध प्रकट कर रहे हैं, पर क्या यही स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं है? पारदर्शिता...
नरेंद्र मोदी को सावधान होना होगा। पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों से लग रहा है कि आडवाणी और उनके विश्वस्त सिपहसालार नरेंद्र मोदी को सेबोटाज़ करने में जुट...
अरविंद केजरीवाल जगह-जगह कहते फिरते हैं कि मुख्यमंत्री कि कुर्सी छोड़ने के लिए गट्स (guts) चाहिए। कोई इन्हें समझाए कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर काम...
कैसे बीतेंगे आने वाले पाँच बरस, यह तय करेगा आपका एक वोट, फिर ना कोई सोए भूखा, कि लोकतंत्र के डंके पे, मारो ऐसी चोट।