अयोध्या पहुंचा 3000 टन सुगंधित चावल, रामलला को लगाया जाएगा भोग

संदीप श्रीवास्तव

मंगलवार, 2 जनवरी 2024 (00:03 IST)
3000 tons of fragrant rice reached Ayodhya : रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी है तो हर कोई कुछ न कुछ अर्पण कर रहा है। इस सबके बीच रामलला के ननिहाल से भी 3000 टन सुगंधित चावल भेजा गया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने पूजन-अर्चन के बाद यह चावल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भेजा है। इसी चावल से 22 जनवरी 2024 यानी प्राण-प्रतिष्ठा के दिन और उसके बाद भोग लगाया जाएगा। यहीं नहीं रामलला की ससुराल जनकपुर से भी कई सामग्रियां राम मंदिर ट्रस्ट को भेजी गई हैं और कई और सामग्रियां लेकर जनकपुर से एक दल 5 जनवरी को आने वाला है।

जब श्रीराम की जन्मभूमि पर बनकर तैयार हो रहे मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी है तो हर कोई अपना योगदान देना चाहता है। ऐसे में कोई घी दे रहा है तो कोई चीनी तो कोई सब्जी, सब कुछ न कुछ अपने आराध्य को अर्पण करना चाहते हैं और उनके प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहते हैं। मगर सबसे खास सौगात आई है रामलला के ननिहाल से, जो 3000 टन सुगंधित चावल की शक्ल में है। इसी चावल से 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के दिन और उसके बाद रामलला को भोग लगाया जाएगा।

दिवाकर त्रिपाठी केंद्रीय भंडार गृह प्रभारी विश्व हिंदू परिषद ने बताया कि वैसे तो सारे देश से विभिन्न प्रकार का सामान आ रहा है। आज जो आया है मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के ननिहाल और महाराज दशरथ के ससुराल से माता कौशल्या की जन्मभूमि से यह चावल आया है। यह चावल जिससे रामलला को भोग-प्रसाद लगेगा और पूरी आस्था से छत्तीसगढ़ निवासियों ने अपने गांव से जो श्रद्धा प्रकट की है, भोग लगाने के लिए जो चावल भेजा है, यह बहुत ही विशिष्ट प्रकार का चावल है।

इसी तरह रामलला की ससुराल से भी कई सामग्रियां श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को भेजी गई हैं और 5 जनवरी को फिर सामग्रियां लेकर एक दल जनकपुर पहुंचने वाला है। दिवाकर त्रिपाठी, केंद्रीय भंडार गृह प्रभारी विश्व हिंदू परिषद ने बताया कि रामलला के ससुराल से भी विभिन्न प्रकार की सामग्री आई है वहां से। जिस तरह से शादी-विवाह में अपने यहां ससुराल से जो पकवान आता है, उस तरह से विधिवत जिस तरह से लड़की की विदाई में लोग भेजते हैं, उस तरह जनकपुर से लोग लेकर आएंगे, वैसे वहां से लगातार कुछ न कुछ आ रहा है दर्शन-पूजन के लिए।

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