WHO ने 'हवा से कोरोनावायरस फैलने' के सबूतों को स्वीकार किया

BBC Hindi

बुधवार, 8 जुलाई 2020 (10:18 IST)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आख़िरकार मंगलवार को यह स्वीकार किया कि कोरोनावायरस संक्रमण के 'हवा से फैलने' के सबूत हैं। इससे पहले वैज्ञानिकों के एक समूह ने डब्ल्यूएचओ को खुली चिट्ठी लिखकर इससे अपने मौजूदा दिशा-निर्देशों में सुधार करने की अपील की थी।
ALSO READ: कोरोना को लेकर नई खोज, Covid-19 दवाओं की जांच को गति दे सकती है चिप पर लगी कोशिका की झिल्ली
डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 महामारी से जुड़ीं टेक्निकल लीड डॉक्टर मारिया वा केरख़ोव ने एक न्यूज़ ब्रीफ़िंग में कहा कि हम हवा के ज़रिए कोरोनावायरस फैलने की आशंका पर बात कर रहे हैं। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बेनेदेत्ता आल्लेग्रांजी ने कहा कि कोरोनावायरस के हवा के माध्यम से फैलने के सबूत तो मिल रहे हैं लेकिन अभी यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता।
 
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर ख़ासकर भीड़भाड़ वाली, कम हवा वाली और बंद जगहों पर हवा के ज़रिए वायरस फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि इन सबूतों को इकट्ठा करने और समझने की ज़रूरत है और हम ये काम जारी रखेंगे।
ALSO READ: कोविड-19 मरीजों को दी जाने वाली दवा रेमडेसिवीर की खुराक में बदलाव
...तो बहुत कुछ बदल जाएगा
 
इससे पहले तक विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता रहा है कि सार्स-कोविड-2 (कोरोना) वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह से निकली सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है।
 
डब्ल्यूएचओ यह भी कहता रहा है कि लोगों में कम से कम 3.3 फुट की दूरी होने से कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम संभव है। लेकिन अब अगर हवा के ज़रिए वायरस फैलने की बात पूरी तरह साबित हो जाती है तो 3.3 फ़ुट की दूरी और फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग के नियमों में बदलाव करना होगा। वान केरख़ोव ने कहा कि आने वाले दिनों में डब्ल्यूएचओ इस बारे में एक ब्रीफ़ जारी करेगा।
ALSO READ: कोरोनिल: योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि की ‘कोरोना की दवाई’ का सच
उन्होंने कहा कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बड़े स्तर पर रोकथाम की ज़रूरत है। इसमें न सिर्फ़ फ़िजिकल डिस्टेंसिंग बल्कि मास्क के इस्तेमाल और अन्य नियम भी शामिल हैं। क्लिनिकल इंफ़ेक्शियस डिज़ीज़ जर्नल में सोमवार को प्रकाशित हुए एक खुले ख़त में 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने इस बात के प्रमाण दिए थे कि ये 'फ़्लोटिंग वायरस' है, जो हवा में ठहर सकता है और सांस लेने पर लोगों को संक्रमित कर सकता है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे इस खुले खत में वैज्ञानिकों ने गुज़ारिश की थी कि उसे कोरोनावायरस के इस पहलू पर दोबारा विचार करना चाहिए और नए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी