पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकार की ओर से संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का शव पाए जाने के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
डॉक्टरों सहित हजारों लोगों ने सड़क पर उतरकर न्याय के लिए प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों के कारण आपातकालिन सेवाओं को छोड़कर पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई। पश्चिम बंगाल में अभी भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
विरोध प्रदर्शनों के बाद तृणमूल कांग्रेस की सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता महुआ मोइत्रा ने 15 अगस्त को सोशल मीडिया पर कहा कि आज हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिले और बंगाल की महिलाओं को यह महसूस हो कि यह उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह है।
उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक महिला सुरक्षा के मामले में कोलकाता नंबर एक रहा है और हम चाहते हैं कि यह वैसा ही रहे।
बीबीसी ने एनसीआरबी की वर्ष 2022 में जारी किए गए आकड़ों का अध्ययन किया ताकि यह देखा जा सके कि पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा की स्थिति कैसी है।
महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा
एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संदर्भ में 2022 में पश्चिम बंगाल में प्रति एक लाख की दर के हिसाब से अपराध दर 71.8 थी। एनसीआरबी अपराध दर की गणना प्रति एक लाख जनसंख्या के आधार पर दर्ज करता है। यानी पश्चिम बंगाल में प्रति एक लाख महिलाओं ने 71.8 अपराध के मामले दर्ज करवाए।
ये आंकड़ा उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से अधिक थी। उत्तर प्रदेश में यह दर 58.6 और बिहार में यह दर 33.5 थी।
भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध दर हरियाणा (118) में सबसे ज्यादा है। इसके बाद तेलंगाना (117) और पंजाब (115) का नंबर आता है। दिल्ली में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध दर 144 है जो हरियाणा के आंकड़े से भी अधिक है।
एनसीआरबी के वर्ष 2022 के आंकड़ों के मुताबिक नागालैंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर सबसे कम 4।6 है। मणिपुर में यह अपराध दर 15.6 दर्ज की गई और तमिलनाडु में यह दर 24 दर्ज की गई जो भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध की सबसे कम दरों में से हैं।
क्या हर अपराध की दर्ज होती है रिपोर्ट?
महिलाओं और ट्रांस समुदाय के अधिकारों का समर्थन करने वाली महिला निधि साउथ एशिया वूमेन्स फाउंडेशन की को-फाउंडर सुनीता धर कहती हैं, “अपराध दर और दर्ज कराए आपराधिक मामले जरूरी नहीं कि सभी हो रहे अपराधों की वास्तविकता बयां करें।”
सुनीता कहती हैं, “इस बात पर गौर करने की जरूरत हैं कि डर के कारण कई राज्यों में अपराधों की रिपोर्टिंग में कमी हो सकती है।”
वह कहती हैं, “अधिक अच्छे समाज और लिंग आधारित हिंसा के प्रति अधिक जागरूकता रखने वाले समाज में यह मामले सामान्य बात है। महिलाएं ऐसी बातें बोलने के लिए सुरक्षित जगह खोजती हैं। भारत में समाज में अपमानित होने के डर से ऐसे अपराधों की रिपोर्ट करना मुश्किल है।”
सुनीता कहती हैं, "इनमें से कई कारण दिल्ली जैसे शहरों में बड़ी संख्या में रिपोर्टों में योगदान करते हैं, जहां हिंसा से बचे लोगों के लिए अधिक मजबूत समर्थन नेटवर्क और सेवाएं हैं। आधिकारिक आंकड़े अक्सर वास्तविक हालात को नहीं दिखाते हैं, खासकर जब अपराधी परिवार का सदस्य हो,"
2022 के एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध का डेटा देखने पर यह मालूम चलता है कि तमिलनाडु के कोयंबटूर और चेन्नई में आपराधिक दर पश्चिम बंगाल के कोलकाता की आपराधिक दर से कम थी।
अगर हम हर किस्म के अपराधों की बात करें तो पश्चिम बंगाल की अपराध दर 182.8, सिक्किम (119.7) और झारखंड (164.5) जैसे राज्यों से कहीं अधिक है।
आंकड़े यह दिखाते हैं कि पंजाब ( 240.6), उत्तर प्रदेश (322) और तमिलनाडु (617.2) जैसे राज्यों में अपराध दर पश्चिम बंगाल की अपराध दर से कहीं अधिक है।
केरल में अपराध दर सबसे अधिक (1,274.8) थी। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की अपराध दर (1,518.2) केरल से भी अधिक थी। नागालैंड में सबसे कम अपराध दर (71.8) दर्ज की गई थी। कुल आपराधिक मामलों के संदर्भ में पश्चिम बंगाल में 1,80,539 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि उत्तर प्रदेश 7,53,675, महाराष्ट्र में 5,57,012, और गुजरात में 5,24,103 मामले दर्ज किए गए थे। ये सभी आंकड़े पश्चिम बंगाल की तुलना में कहीं अधिक हैं।
एनसीआरबी के आकड़े दिखाते हैं कि इस दौरान पश्चिम बंगाल में रेप/गैंग रेप के बाद हत्या के पांच मामले सामने आएं हैं। राज्य में 845 रेप के मामले सामने आएं हैं और 427 दहेज हत्या से जुड़े मामले दर्ज हुए हैं।
35 मामले एसिड अटैक, 6,869 मामले महिलाओं को अगवा करने, 928 मामले दुष्कर्म का प्रयास करने और पॉक्सो एक्ट से संबंधित 2,771 मामले दर्ज किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में यौन उत्पीड़न से बचे हुए लोगों का पक्ष रख चुकी वकील वृंदा ग्रोवर कहती हैं कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा शायद भारत में सबसे कम रिपोर्ट की जाती है।
वृंदा ग्रोवर कहती हैं, "चूंकि यौन हिंसा और बलात्कार बेरोकटोक जारी हैं, हम जो देख रहे हैं वह वास्तविक स्थिति का बहुत छोटा सा अंश है। न्याय तक पहुंचने के लिए और महिलाओं को कानून का दरवाजा खटखटाने के लिए उसके पास आत्मविश्वास और ऐसा माहौल होना चाहिए जो उसे शिकायत को आगे ले जाने के लिए प्रोत्साहित करे और सक्षम बनाए।”
ग्रोवर कहती हैं कि जिस तरह से आपराधिक न्याय प्रणाली बनाई गई है, उससे ये आशंका बनी रहती है कि मदद नहीं मिलेगी, बल्कि उसे फिर से पीड़ित करेगी। उनका कहना है कि उसी महिला की बात पर तभी यक़ीन किया जाता है कि जिस पर क्रूरता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हो।
भारत में अपराध के कुल मामले
भारत में दर्ज किए गए कुल 58,24,946 अपराधों में से हत्या के 28,522 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि अगवा किए जाने 1,07,588 मामले दर्ज किए गए हैं।
एनसीआरबी की साल 2022 की रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि पूरे भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि बच्चों के खिलाफ 1,62,449 अपराध के मामले दर्ज किए हैं।
पश्चिम बंगाल में यौन उत्पीड़न के 331 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि तमिलनाडु में 243 मामले दर्ज किए गए हैं। पंजाब में यौन उत्पीड़न के 190 मामले, हिमाचल प्रदेश में 151 मामले और हरियाणा में 917 मामले दर्ज किए गए हैं।
अपहरण और अगवा किए जाने के मामलों में पश्चिम बंगाल में 2084 मामले दर्ज किए गए हैं। जो राजस्थान (1,753), बिहार (1,370) और हरियाणा (839) में दर्ज मामलों से कहीं अधिक हैं।
पूरे भारत में पॉक्सो एक्ट के 63,116 मामले दर्ज किए गए हैं। पश्चिम बंगाल में पॉक्सो एक्ट के 2,771 मामले दर्ज किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में पॉक्सो एक्ट के तहत 7,970 मामले दर्ज किए गए हैं जो पूरे भारत में सबसे अधिक हैं। वहीं गोवा में पॉक्सो एक्ट के तहत कोई भी मामला नहीं दर्ज किया गया है।
पूरे देश में दर्ज किए गए 58,24,946 मामलों में 53,90,233 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें से 24,72,039 लोगों को दोषी ठहराया गया है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 151 सांसदों और विधायकों के खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले दर्ज हैं। जिसमें पश्चिम बंगाल सबसे आगे है।
पश्चिम बंगाल के 25 मौजूदा विधायक और सासंदों के खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले दर्ज हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश (21) और ओडिशा के (17) सांसदों के खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले दर्ज हैं।
एनसीआरबी की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 16 सांसद और विधायक ऐसे हैं जिन्होंने आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों के बारे में जानकारी दी है।
एडीआर के मुताबिक लोकसभा चुनाव के द्वितीय चरण में 87 में से 45 निर्वाचन क्षेत्रों को रेड अलर्ड निर्वाचन क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया था। रेड अलर्ड निर्वाचन क्षेत्र वो क्षेत्र होते हैं जहां पर तीन से अधिक प्रत्याशियों ने आपराधिक मामलों की घोषणा की हो।
पश्चिम बंगाल में ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद हड़ताल को आंशिक रूप से समाप्त किया गया।
20 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार से चल रही जांच के संबंध में कोर्ट को अपडेट देने को कहा था। सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की कानूनी टीम में 21 वकील थे जबकि केंद्र की ओर से पांच वकील पैरवी कर रहे थे।