गुजरात के कपड़ा व्यापारी पीएम मोदी से ख़फ़ा

गुरुवार, 13 जुलाई 2017 (14:18 IST)
- विनीत खरे
गुजरात के सूरत शहर में कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारियों का जीएसटी के खिलाफ़ प्रदर्शन अभी भी जारी है। आठ जुलाई को सूरत के व्यापारी बड़ी संख्या में सड़कों पर निकले। व्यापारियों, आम लोगों से पटी सड़कों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। कारोबारियों का आरोप है कि नई जीएसटी व्यवस्था से उनका उद्योग धंधा मंदा होगा।
 
ऑल इंडिया टेक्सटाइल ट्रेडर्स फ़ेडरेशन के अध्यक्ष और सूरत जीएसटी टेक्सटाइल संघर्ष समिति के संयोजक ताराचंद कसाट के मुताबिक जहां उन्हें पहले केवल सूत पर टैक्स देना पड़ता था, जीएसटी के तहत व्यापारियों को कपड़ा बनाने के हर स्टेज पर पांच प्रतिशत टैक्स देना होगा।
 
सरकार से मांग
कसाट कहते हैं, "जहां सूरत की 75 हज़ार दुकानें बंद हैं, पूरे भारत में करीब डेढ़ करोड़ दुकानें बंद करके हम जीएसटी का विरोध कर रहे हैं।" कसाट के मुताबिक, "कपड़ा 27 विभिन्न चरणों से गुज़र कर तैयार होता है। जीएसटी के तहत हमें हर चरण पर टैक्स देना होगा। टैक्स रेकॉर्ड की देखरेख में निवेश लगेगा। उद्योग से जुड़े ज़्यादातर लोग गरीब और अनपढ़ हैं। उनके लिए ऐसा करना संभव नहीं हैं।"
 
कसाट की मांग है कि सरकार विभिन्न चरणों की बजाए मात्र पहले चरण (सूत कातने) पर टैक्स लगाए या फिर जीएसटी लागू करने में देरी करे और जब तक ऐसा नहीं होता वो अपना विरोध जारी रखेंगे। कन्फ़डरेशन ऑफ़ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री प्रमुख जे तुलसीदरन कहते हैं, "टैक्स का जमा खाता बरकरार रखने में वक्त लगता है और प्रक्रिया बेहद पेचीदा है।"
 
मोदी का राज्य
दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के प्रमुख अरुण सिंघानिया का कहना है कि उन्हें जीएसटी समझने और लागू करने के लिए सरकार से वक्त चाहिए। उन्होंने कहा, "ये प्रदर्शन पूरे देश में चल रहे हैं लेकिन गुजरात का नाम इसलिए उछाला जा रहा है क्योंकि ये नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है।"
विरोध का नतीजा ये कि कपड़ा व्यापार से जुड़े अन्य व्यापार भी ठप्प पड़ गए हैं, उससे जुड़े मज़दूरों के पास काम नहीं है और पूरे सेक्टर को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। ताराचंद कसाट के मुताबिक उन्होंने सरकार के सामने अपनी बात रखी है लेकिन अभी तक उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया है।
 
वो कहते हैं, "ये कहना कि जब तक जीएसटी काउंसिल इस विषय पर कोई फ़ैसला नहीं लेती तब तक कुछ नहीं किया जा सकता, सही नहीं है।" क्या वो अपनी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा पाए हैं? वो कहते हैं, "मुझे लगता है कि मोदी जी तक हमारी बात अभी तक नहीं पहुंची है।"
 
निर्यात पर असर
रिपोर्टों के मुताबिक हाल ही में केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मांडवीय ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की लेकिन इस मामले में सरकार क्या करने का सोच रही है, ये अभी साफ़ नहीं है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े इंडिया ब्रैंड इक्विटी फ़ाउंडेशन के एक आंकड़े के मुताबिक कपड़ा उद्योग से चार करोड़ मज़दूर सीधे तौर पर और छह करोड़ मज़दूर अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं।
 
वर्ष 2015-16 में भारत के कुल निर्यात में इस सेक्टर का हिस्सा 11 प्रतिशत यानी चार अरब डॉलर था। अनुमान है कि 2021 तक ये उद्योग 108 अरब डॉलर का हो जाएगा। कसाट मानते हैं कि ताज़ा प्रदर्शनों से उद्योग और निर्यात पर असर पड़ेगा।
 
फ़ेडरेशन ऑफ़ गुजरात इंडस्ट्रीज़ के महासचिव नितेश पटेल का दावा है कि कारोबारी टैक्स देना ही नहीं चाहते और उन्हें वक्त देने की मांग बहाना मात्र है। विरोध की आवाज़े गुजरात के अलावा अमृतसर, लुधियाना, जयपुर, तमिलनाडु के इरोड और सेलम, महाराष्ट्र के भिवंडी और इचलकरंजी से भी आ रही हैं जो इस उद्योग से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान हैं।
 
इरोड क्लॉथ मर्चेंट्स एसोसिएशन प्रमुख पी रविचंद्रन ने बीबीसी को बताया, "जीएसटी लागू करने से छोटे व्यापारियों को नुकसान होगा।"कन्फ़डरेशन ऑफ़ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के महासचिव डॉक्टर एस सुनंदा के मुताबिक जीएसटी के लागू होने से उद्योग में बेरोज़गारी बढ़ेगी।

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