अयोध्या में सिर्फ़ एक ही आवाज़ सुनाई पड़ रही है, वो है लाउडस्पीकर्स से आती श्रीराम के भजनों की आवाज़।
अयोध्या का रंग आज कुछ बदला सा है। हिंदुओं में शुभ माने जाने वाले पीले रंग से उस रास्ते की दुकानों को रंग दिया गया है जहां राम मंदिर की भूमि पूजन का कार्यक्रम होना है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजक है। ये ट्रस्ट अयोध्या ज़मीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद केंद्र सरकार ने बनाया था। लेकिन ट्रस्ट के अलावा राज्य सरकार और अयोध्या प्रशासन कई दिनों से इस कार्यक्रम की तैयारियों में लगे हुए थे।
मंगलवार सुबह हनुमान गढ़ी में पूजा के साथ इस कार्यक्रम की शुरूआत हुई है। कई मंदिरों वाली इस अयोध्या नगरी में अखंड रामायण के पाठ चल रहे हैं। चार और पांच अगस्त को दिपोत्सव का कार्यक्रम भी रखा गया है जिसमें स्थानीय मंदिरों और सरयू नदी पर मिट्टी के दिये जलाए जाएंगे। सरकार और आयोजकों ने लोगों से भी अपील की है कि वे अपने घरों में भी दिये जलाएं। राज्य सरकार ने प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी दिये बाती बांटे हैं।
अयोध्या नगरी जहां कई प्रमुख मंदिर हैं और राम मंदिर का निर्माण होना है, वहीं पर अयोध्या का रंग और उल्लास ज़्यादा दिख रहा है। मंदिर रात में रंगीन रोशनी में नहाए दिखते हैं। मीडिया की गाड़िया दिन-रात इसी इलाके में घूमती रहती हैं।
नेपाल से भी आएंगे मेहमान
इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास मंच पर बैठेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी विशिष्ट अतिथि को तौर पर उनके साथ मौजूद होंगे।
आयोजकों का कहना है कि कोरोना महामारी को देखते हुए इस कार्यक्रम में 175 लोगों को ही बुलाया गया है।
ट्रस्ट के सदस्य चंपत राय ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि नेपाल के संत भी कार्यक्रम में पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि नेपाल का बिहार और उत्तर प्रदेश से रिश्ता है।
कार्यक्रम के ख़ास मुसलमान मेहमान
अयोध्या ज़मीन विवाद के पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी को भी इस कार्यक्रम में बुलाया गया है। उनके पिता की 2016 में मृत्यु के बाद वे इस मुक़दमे में पार्टी थे। इक़बाल ने बीबीसी को बताया कि वे प्रधानमंत्री के लिए तोहफ़े में रामचरितमानस लेकर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में हिंदू-मुसलमानों का कोई विवाद नहीं है।
उनके अलावा फ़ैजाबाद के रहने वाले पद्मश्री मोहम्मद शरीफ़ को भी न्यौता मिला है। वे लावारिस शवों का अंतिम क्रिया करवाते हैं। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़फर अहमद फ़ारूक़ी को भी निमंत्रण दिया गया है। हालांकि उनका कार्यक्रम में शरीक़ होना तय नहीं है।
कोरोना के बीच अयोध्या
सारा इंतज़ाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देख-रेख में हो रहा है। सोमवार को उन्होंने जायज़ा भी लिया। वे सोशल डिस्टेंसिंग की बात पर ख़ासा ज़ोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड 19 प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाएगा। अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा ने बताया कि कार्यक्रम में सभी कुर्सियों को आठ फुट की दूरी पर रख जाएगा ताकि सोशल डिस्टेंसिग बनी रहे।
लेकिन कार्यक्रम के अलावा भी आयोजन में और कई चीज़ें शामिल हैं। इंतज़ाम और सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी हर वक्त कोरोना को लेकर अलर्ट नहीं रह पा रहे हैं। मंगलवार को सुबह भी कई पुलिसकर्मी हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा से पहले इकट्ठे खड़े थे। कई पुजारी बिना मास्क लगाए मंदिर की अपनी दिनचर्या में लगे हुए हैं।
कुछ ही दिन पहले वहां तैनात 16 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। 2 पुजारी भी कोरोना पॉजिटिव निकल चुके हैं। सड़कों पर लोगों की भीड़ है। सरयू पर आरती के समय भी वैसी ही भीड़ देखी जा सकती है जैसी कोरोना महामारी से पहले होती थी।
अयोध्या का फ़ोकस इस वक्त पांच अगस्त के कार्यक्रम पर सिमट गया है। सोमवार को आयोजन स्थल के बाहर सैनेटाइज़ेशन का काम भी पुलिस वाले कर रहे थे।
भारतीय जनता पार्टी के नेता कहां?
राम जन्मभूमि विवाद में प्रमुख भूमिका में रहे कई बीजेपी नेता इस कार्यक्रम में शरीक नहीं हो रहे। उनके शरीक होने की तमाम ख़बरें आती रहीं लेकिन ये अभी तक पता नहीं चल सका है कि लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को निमंत्रण भेजा गया है या नहीं।
उनके अलावा उमा भारती ने ट्विटर से सूचना दी कि वे कोरोना महामारी को देखते हुए इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी।
विनय कटियार ने बीबीसी से पहले कहा कि वे जाने पर विचार कर रहे हैं लेकिन बाद में कहा कि वे नहीं जा रहे। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने कल्याण सिंह से मंगलवार सुबह बात की है और वे स्वास्थ्य कारणों की वजह से नहीं आ रहे।
आयोजन पर सवाल?
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक वकील ज़फरयाब जिलानी ने कहा कि पीएम का इस कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के अनुरूप नहीं है। वे निजी हैसियत से कहीं भी जा सकते हैं लेकिन प्रधानमंत्री की हैसियत से इस कार्यक्रम का हिस्सा होना सही नहीं।
क्या मस्जिद निर्माण के वक्त भी मस्जिद ट्रस्ट प्रधानमंत्री को निमंत्रण देगा, तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम कोई गलत नज़ीर नहीं पेश करना चाहते। चाहे मंदिर हो या मस्जिद, धर्मनिरपेक्ष देश में सरकार का ऐसे आयोजनों में शामिल होना गलत है।
आयोजन धर्म से जुड़ा है तो कुछ सवाल धर्म से भी जुड़े हैं। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि इस समय शुभ मुहूर्त नहीं है और वैसे भी ये भादो का महीना है, चातुर्मास है और इस वक्त कोई शुभ काम नहीं होता है। इसलिए इस आयोजन की जल्दबाज़ी को लेकर वे आशंका जता रहे हैं।