फ़िटनेस को लेकर सतर्क रहने वाले लोगों के बीच स्मार्ट वॉच इन दिनों ट्रेंड में है। रोज़ाना वो कितने क़दम चले और उन्होंने उससे कितनी कैलोरी ख़र्च की, इसके लिए वो स्मार्ट वॉच पर नज़र रखते हैं। ये भी सच है कि शरीर पर पहने जाने वाले इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लोगों की सुविधा बढ़ी है। बल्कि कुछ लोग तो मानते हैं कि कई सामाजिक परेशानियों को हल करने में भी ये उपकरण मददगार हो सकते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक़, साल 2050 तक 60 से ज़्यादा उम्र वाले लोगों की संख्या दो गुनी से भी ज़्यादा हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उम्रदराज़ लोगों की संख्या इतनी बढ़ना, 21वीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव माना जाएगा।
लेकिन इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती होगी लोगों के चलने-फिरने में आने वाली दिक्कतें। उम्र के साथ चलने-फिरने की तकलीफ़ें होना आम बात है। हालांकि इससे किसी भी शख़्स के जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। यह दफ़्तरों, सार्वजनिक जगहों और घरों में भी परेशानी का सबब बन सकता है। इसलिए वैज्ञानिक इस दिशा में काम कर रहे हैं।
हल्का होगा सूट
शरीर पर पहने जाने वाली एक ऐसी नई तकनीक पर काम चल रहा है जो इसमें मददगार साबित हो सकती है। एसआरआई इंटरनेशनल (सिस्मिक) नाम के रिसर्च सेंटर ने एक ऐसा रोबोटिक 'सुपर सूट' तैयार किया है जो हल्का होगा और आरामदायक भी।
इसे पहनने से माँसपेशियों को ताक़त मिलेगी और चलना-फिरना सुगम हो सकेगा। इस सूट की 'इलेक्ट्रिक माँसपेशियों' को छोटी मोटर से ऊर्जा मिलती है। ये इस तरह बांधी गई होती हैं कि देखने में ये बिल्कुल इंसानी माँसपेशियों जैसी लगती हैं।
ये इलेक्ट्रिक माँसपेशियां शरीर के जोड़ों के आसपास कपड़े के भीतर होती हैं और कपड़े की पकड़ से जुड़ी होती हैं। ये पकड़ इंसानी शरीर के 'टेंडन्स' की तरह काम करती है। इस सूट में शरीर की हरक़तों पर नज़र रखने के लिए एक छोटा कंप्यूटर और सेंसर भी लगे होते हैं।
कपड़े के अंदर की माँसपेशियों को सॉफ़्टवेयर बता देता है कि एक्टिवेट कब होना है। मोटर, बैटरी, कंट्रोल बोर्ड जैसे तकनीक के पुर्जे एक लो-प्रोफ़ाइल पॉड में लगे होते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा आराम मिले।
चलने फिरने की आज़ादी
इस रिसर्च सेंटर के संस्थापक और सीईओ रिच मेहाने का कहना है, "अब तक जिस तरह के उत्पाद लोगों की मदद कर रहे थे वो हैं वॉकर और छड़ियाँ। फ़िलहाल दूसरा विकल्प ये है कि या तो हम अपनी शारीरिक गतिविधियाँ सीमित कर लें और घर पर बैठें। ऐसा देखा गया है कि काफ़ी सारे लोग दूसरा विकल्प ही चुनते हैं क्योंकि वे वॉकर या किसी अन्य उपकरण की मदद लेने से हिचकिचाते हैं।"
इस सूट को आकर्षक और सक्षम बनाने के लिए सिस्मिक रिसर्च सेंटर ने डिज़ाइनर बेहर के साथ इस पर काम किया है। बेहर का कहना है, "हमारा लक्ष्य ऐसा उत्पाद बनाना है जो आप सचमुच पहनना चाहें। ना कि ऐसा जो आपको मजबूरन पहनना पड़े। आराम के साथ-साथ इसका सुंदर और आकर्षक होना भी उतना ही ज़रूरी है।"
सिस्मिक का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक अमेरिका, जापान, ब्रिटेन समेत विश्व भर के तमाम बाज़ारों में इस सूट को लॉन्च किया जाए। 'पावर्ड क्लोदिंग' में ये उनका पहला उत्पाद होगा। लंदन के 'विक्टोरिया एंड एल्बर्ट' म्यूज़ियम में होने वाली प्रदर्शनी 'द फ़्यूचर स्टार्ट्स हियर' में इस 'सुपर सूट' के साथ ऐसे 100 और उत्पाद रखे जाएंगे।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ माँसपेशियों की शक्ति घटती जाती है। इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। जैसे ही आप 60 साल के होते हैं, माँसपेशियों की मजबूती कम होती जाती है।
पहनी जा सकने वाली तकनीक न केवल बुज़ुर्गों के लिए बल्कि अन्य लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। ऐसे उत्पाद बनाने पर शोध चल रहा है जो स्ट्रोक के पीड़ितों और माँसपेशियों की समस्या से ग्रस्त बच्चों के लिए उपयोगी साबित हो सकें।
उदाहरण के लिए वेयर हाउस या कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वालों की सुरक्षा के लिए ऐसे उत्पाद बेहद ज़रूरी हैं। बेहर का कहना है, "बतौर डिज़ाइनर, मेरा ध्यान इस बात पर है कि ये तकनीक इस तरह इस्तेमाल हो जो हम इंसानों के लिए उपयोगी हो। और जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर और आसान बना सके।"
उनका मानना है कि पहने जा सकने वाली तकनीक अभी शुरुआती दौर में है। हालांकि ये जानना मुश्किल है कि आने वाले दशक में ये पहने जा सकने वाली तकनीक किस दिशा में जाएगी। लेकिन जहाँ तक आगे बढ़ने का सवाल है तो इस्तेमाल के मामले में ये हमेशा बढ़ते रहने वाला उद्योग है। विश्वस्तरीय समस्याओं को सुलझाने का एक ज़रिया भी है। एक बात जो पक्की है वो ये है कि इसमें तकनीक और इंसान के साझा रिश्ता को फ़ायदा पहुँचाने की क्षमता है।