अगर सेक्स सेवाओं से दुखी हों तो....

सिंगापुर के विदेश मंत्री अपने देशवासियों के विचित्र अनुरोधों से परेशान हो गए हैं और उन्होंने अपनी परेशानी को जाहिर करने के लिए फेसबुक का सहारा लिया है। उन्होंने कुछ ऐसे अनुरोधों का खुलासा भी किया है।

सिंगापुर के विदेश मामलों के मंत्री के. शणमुगम ने एक अनुरोध को बताया जो कि इस प्रकार था : 'अगर सिंगापुर के किसी नागरिक को विदेश में अवैध सेक्स सेवा मिलती है तो सरकार इस मामले में उसकी क्या मदद कर सकती है?

क्या सरकार उसे असंतुष्ट रहने पर उसका पैसा वापस दिला सकती है? आप समझ सकते हैं कि इस अनुरोध का उत्तर क्या होगा। नाराज होकर कौंसुलर स्टाफ को इस नागरिक को कहना पड़ा कि 'अगर सेक्स सेवाओं से दुखी हों तो कृपा करके इस बात को हमें ना बताएं।'

मामला यहीं तक सीमित नहीं है क्योंकि लोगों की शिकायतें ऐसी-ऐसी होती हैं कि आप सोच भी नहीं सकते हैं। ऐसे तमाम अनुरोधों का जिक्र करते हुए मंत्री महोदय ने लिखा कि हमें यह तय करना होगा कि क्या निजी जिम्मेदारी है और क्या नहीं है। अब एक और नमूना देखें।

केएफसी के एक ग्राहक ने आरोप लगाया कि उसके फ्राइड चिकन का आकार छोटा है और उसके साथ नस्ली भेदभाव किया जा रहा है। यह ग्राहक चाहता था कि विदेश मामलों का मंत्रालय इस मामले की जांच करे और उस देश में अपने देश के निवासी को न्याय दिलाए जिसमें उसके साथ अनुचित व्यवहार किया गया है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों को लिखना पड़ा कि वे ऐसा नहीं कर सकते हैं।

इसी तरह से मंत्रालय इंडोनेशिया में रहने वाले सिंगापुरवासियों की मदद नहीं कर सका जिन्होंने विदेश मंत्रालय के कार्यालय में कहा था ‍क‍ि उन्होंने अमेरिका से कम्प्यूटर खरीदने का ऑनलाइन ऑर्डर दिया था, अब कार्यालय अमेरिका से कम्प्यूटर को जल्दी भिजवाने में मदद करे।

पिछले वर्ष सिंगापुर के अमेरिका ‍स्थ‍ित काउंसलर कर्मचारियों को ऐसे तीन हजार मामले निपटाने पड़े थे जो कि सिंगापुर के लोगों ने उनके सामने रखे थे। उल्लेखनीय है कि सिंगापुर के लोग प्रतिवर्ष 70 लाख बार विदेश की यात्राएं करते हैं और इस तरह की शिकायतें करते हैं।

गौरतलब है कि यह मामला केवल सिंगापुर तक ही सीमित नहीं है क्योंकि पिछले वर्ष ब्रिटेन के फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस (एफसीओ) को 52 हजार से ज्यादा मामले निपटाने पड़े थे, लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ लोग जानबूझकर कर्मचारियों का समय खराब करते हैं। ऐसे लोगों को पहले से ही चेतावनी दी जाती है।

पिछले वर्ष मई में एफसीओ ने एक ऐसी सूची जारी की थी जिसमें ऐसी जानकारियां चाहे जाने की बात कही गई थी जो कि गलत दिशा में निर्देशित थीं। ऐसे सवालों में एक आदमी ने रोम स्थित कौंसुलर स्टाफ से पूछा था कि उसके नए टैटू के लिए एक वाक्यांश को ट्रांसलेट कर दिया जाए। एक महिला की शिकायत थी कि ''मेड इन चाइना'' के फुटबॉल शूज की क्वालिटी बहुत खराब थी और इस मामले में विदेश मंत्रालय उसकी क्या मदद कर सकता था?

ऑस्ट्रेलिया के फॉरेन ऑफिस में इतनी विचित्र-विचित्र बातें पूछी जाती हैं कि देश की सरकार को सुझाव दिया गया था कि वह कौंसिल की मदद मांगने के लिए फीस लगा दे तभी लोगों के उलजलूल सवाल आने बंद होंगे। मार्च, 2013 में ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इन सवालों पर एक रिपोर्ट जारी की थी।

इस रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलियन डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स एंड ट्रेड (डीएफएटी) से एक अज्ञात व्यक्ति ने पूछा था कि क्या मिस्र की बालू से मेरा अस्थमा (दमा) बिगड़ जाएगा?'' और एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या विभाग '' उनके घर से दूर रहने पर उनके कुत्तों को खाना खिलाने का इंतजाम कर देगा?''

वर्ष 2011 में विदेश मामलों की मंत्री डायना एब्लांजी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि ''काउंसलर अधिकारी आपकी सास को यह नहीं कह सकते हैं कि वे आपका घर छोड़कर चली जाएं, वे आपके लिए किसी संगीत या मनोरंजन कार्यक्रम के टिकट नहीं खरीद सकते हैं, आप और आपकी साथी के बीच के झगडे नहीं सुलझा सकते हैं या आपके कुत्ते को एयरपोर्ट से आपके घर तक नहीं ला सकते हैं।'' अब सोच लीजिए कि लोग विदेश सेवा में लगे अधिकारियों से क्या-क्या करने को कह देते हैं।

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