फिल्म रुस्तम के लिए अक्षय कुमार को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है। सिनेमा को लेकर देश में कई पुरस्कार दिए जाते हैं, लेकिन ये पुरस्कार अपनी चमक खो बैठे हैं। ये पुरस्कार बिकते भी हैं या उन्हें दिए जाते हैं जो परफॉर्म करने के लिए राजी हो जाते हैं। इनसे मोटी कमाई की जाती है।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की चमक अभी फीकी नहीं पड़ी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से चमक कम होने लगी है। ये उन लोगों या फिल्मों को दिए जाने लगे हैं जिनके बारे में लगता है कि ये इस पुरस्कार के योग्य नहीं है। क्या यहां पर भी राजनीति होने लगी है? जब पद्म पुरस्कारों में राजनीति होती है तो भला ये कैसे अछूते रह सकते हैं?
फिल्म रुस्तम 1959 में घटित चर्चित नानावटी कांड पर आधारित फिल्म है जिसमें अक्षय कुमार ने रुस्तम पावरी का किरदार निभाया है। वह नेवी ऑफिसर है जो अपने पत्नी के प्रेमी की हत्या कर देता है। यह फिल्म औसत दर्जे की थी और अक्षय कुमार का अभिनय अच्छा था, लेकिन ऐसा भी नहीं था कि राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जाए।
यहां अक्षय कुमार की आलोचना नहीं की जा रही है। वे बड़े स्टार हैं। अच्छा निर्देशक मिल जाए तो अभिनय भी बढ़िया कर लेते हैं। हेराफेरी, एअरलिफ्ट, स्पेशल 26 जैसी कुछ फिल्में उनके अच्छे अभिनय का उदाहरण है, लेकिन इतना बड़ा पुरस्कार जीतने लायक अभिनय उन्होंने कभी नहीं किया। रुस्तम में तो बिलकुल नहीं।