बॉक्स ऑफिस के लिए मुश्किल घड़ी

सिनेमाघरों में इन दिनों सन्नाटा पसरा है। 'पीके' उतरने के बाद सिनेमाघर दर्शकों के लिए तरस रहा है। ले-देकर 2015 में एकमात्र सफलता 'बदलापुर' के रूप में हाथ लगी है। इस फिल्म की सफलता भी बहुत बड़ी नहीं है। 'दम लगा के हईशा' अपने बजट के कारण सफल रही है। सिनेमाघर में हाउसफुल का बोर्ड लगे अरसा हो गया है। 
 
यूं भी मार्च का महीना बॉलीवुड के लिए हमेशा मुश्किलों से भरा रहता है। छात्रों के इम्तिहान शुरू हो जाते हैं, लिहाजा उनके पैरेंट्स भी फिल्मों से दूरी बना लेते हैं। बड़े निर्माता अपनी फिल्में इस दौरान रिलीज नहीं करते। छोटे निर्माता इस स्थिति का फायदा उठाते हैं। सिनेमाघर वालों को उनकी फिल्म चलाना पड़ती है भले ही दर्शक आए ना आए।
विश्व कप क्रिकेट भी चल रहा है और दर्शक फिल्म देखने के बजाय घर बैठे मैच देखना पसंद कर रहे हैं। मार्च के अंतिम दिनों में तो सिनेमाघरों की हालत और बुरी हो जाएगी क्योंकि उस दौरान विश्व कप के महत्वपूर्ण मैचेस खेले जाएंगे।  
 
मार्च के महीने में छोटे और मध्यम बजट की फिल्में रिलीज हो रही हैं। जिनसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। 6 मार्च को तो ढेर सारी मूवी रिलीज हो रही हैं मानो उस वीक में ढेर सारी छुट्टियां हो। हे ब्रो, डर्टी पॉलिटिक्स, बदमाशियां, गरमा गरम गरम मसाला, हर स्टोरी, माशूका : ए डेंजरस लवर, मैरिज 1998, स्मिंग : घातक शिकारी (डब) जैसी आठ-नौ फिल्में रिलीज हो रही हैं। इसमें डर्टी पॉलिटिक्स से ज्यादा उम्मीद है क्योंकि इसमें ऐसे सितारें हैं जिन्हें दर्शक जानते हैं। हे ब्रो का प्रचार भी अच्छी तरह किया गया है और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर से अच्छे कलेक्शन आ सकते हैं। 
 
13 मार्च को सेंसर में अटकी 'एनएच 10' रिलीज हो सकती है। इसमें अलावा धरम संकट में, दिल्ली वाली जालिम गर्लफ्रेंड, लखनवी इश्क, पैसा हो पैसा के रिलीज होने की भी घोषणा हुई है। 20 मार्च को हंटर और दोजख को रिलीज किए जाने की घोषणा हुई है। 27 मार्च को अब तक किसी निर्माता ने फिल्म रिलीज करने की घोषणा की है क्योंकि उस दौरान वर्ल्ड कप फाइनल खेला जाएगा। 
 
बिजनेस के लिहाज से मार्च महीना हमेशा से बॉलीवुड के लिए कठिन रहा है और इस बार यह कठिनाई कुछ ज्यादा ही है। 

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