दिलीप कुमार पर हमेशा धर्मेन्द्र का प्यार बरसता रहा। जब मन हुआ वे दिलीप साहब के घर पहुंच जाते थे। कभी सायरा भाभी के हाथों की बिरयानी खाते थे तो कभी खुद अपने घर से ले जाते थे। दिलीप साहब भी धर्मेन्द्र को बहुत चाहते थे। वे जानते थे कि पंजाब के इस पुत्तर का दिल सोने का है और यह उनका दिल से सम्मान करता है। इसलिए दिलीप साहब के घर जाने पर धर्मेन्द्र के लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। अपॉइंटमेंट तो छोड़िए, बिना फोन लगाए जब दिल किया दिलीप साहब का दरवाजा धर्मेन्द्र खटखटा देते थे और फिर घंटों तक बातचीत हुआ करती थी।
धर्मेन्द्र हमेशा दिलीप कुमार के पैरों में बैठते थे। दिलीप साहब कई बार धर्मेन्द्र से गुजारिश करते थे धर्मेन्द्र से कि अमां यार बराबरी पर सोफे पर बैठो। तुम भी बड़े स्टार हो, लेकिन धर्मेन्द्र मुकर जाते थे। उन्हें दिलीप कुमार के कदमों में बैठने में ही सुकुन महसूस होता था।