फराह खान @ 50 वर्ष

समय ताम्रकर

गुरुवार, 8 जनवरी 2015 (15:51 IST)
फराह खान नौ जनवरी 2015 को पचास वर्ष की हो रही हैं। बतौर कोरियोग्राफर फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपनी शुरुआत की थी, लेकिन इस समय उनकी पहचान फिल्म निर्देशक के रूप में हैं। उनके खाते में मैं हूं ना, ओम शांति ओम और हैप्पी न्यू ईयर जैसी सफल फिल्में हैं। फराह खान बॉलीवुड की एकमात्र ऐसी सफल महिला निर्देशक हैं जो मसाला फिल्में बनाती हैं। 
 
फिल्म इंडस्ट्री में ‍महिला फिल्म निर्देशक बहुत कम हैं और पुरुषों का दबदबा है। जितनी भी महिला निर्देशक हैं वे गंभीर किस्म की फिल्में बनाती हैं। शायद यह मान लिया गया है कि कमर्शियल और सफल फिल्म निर्देशित करना महिलाओं के बस की बात नहीं है। महिला निर्देशक को काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उनकी यूनिट के सदस्य ही उन्हें गंभीरता से नहीं लेते हैं। उनकी बात नहीं सुनते और मजाक बनाते हैं। ऐसे में फराह खान की सफलता चौंकाने वाली है। दो सौ करोड़ का बिजनेस करने वाली फिल्म तो अब तक करण जौहर, आदित्य चोपड़ा या संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशक भी नहीं बना पाए हैं। 
फराह को अपना प्रभुत्व जमाना और काम लेना आता है। वक्त आने पर वे पुरुषों की तरह गालियां भी बक सकती हैं। भले ही वे महिला हों, लेकिन उनका व्यवहार पुरुषों की तरह है। वे लोगों पर रौब जमा कर और हावी होकर काम करती है। यही वजह है कि उन्होंने कई सुपरस्टार को निर्देशित किया है और यूनिट के लोग उनसे डरते हैं। वे बेहद वाचाल और मुंह पर बोलने वाली इंसान हैं। 
 
फराह की मां मेनका रिश्ते में डेजी और हनी ईरानी की बहन है। हनी ईरानी के बच्चे फरहान अख्तर और जोया अख्तर रिश्ते में फराह के भाई-बहन हैं। फराह जब छोटी थीं तब उनके माता-पिता में अनबन हो गई। फराह के पिता को फिल्मों में असफलता मिली और इसका असर पूरे परिवार पर हुआ। फराह और साजिद को अभावों का सामना भी करना पड़ा और साजिद के मन में कड़वाहट भर गई थी। 
 
दूसरी ओर फराह ने परिस्थितियों से लड़ना सीखा और यही लड़ाकू प्रवृत्ति आज भी उनके काम आ रही है। माइकल जैक्सन के डांस को देख उन्होंने अपना डांस ग्रुप बना लिया और अपने तरीके से डांस सीखाने लगीं। सही मौके और सही लोगों से मुलाकात ने फराह की जिंदगी बदल दी। 'जो जीता वही सिकंदर' के गाने के फिल्मांकन के दौरान ऐन मौके पर कोरियोग्राफर सरोज खान को दूसरी फिल्म के लिए जाना पड़ा। बजाय सरोज का इंतजार करने के निर्देशक मंसूर खान ने फराह को अवसर दे दिया और इसके बाद फराह ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कई गानों में उनके द्वारा की गई कोरियोग्राफी पसंद की गई। सुपरस्टार्स को उंगलियों पर नचाने से उनका आत्मविश्वास बढ़ गया। 
 
'कभी हां कभी ना' के सेट पर उनकी मुलाकात शाहरुख खान से हुई और दोनों दोस्त बन गए। इसका फायदा फराह को ये मिला कि शाहरुख खान ने फराह को अपने बैनर तले बनने वाली फिल्म का निर्देशक बना दिया। सुपरस्टार शाहरुख की छवि और पुरानी हिट फिल्मों के फॉर्मूले को अपने अंदाज में पेश कर फराह ने 'मैं हूं ना' और 'ओम शांति ओम' जैसी सफल फिल्में बनाईं। शाहरुख से दोस्ती टूटने के बाद फराह ने 'तीस मार खां' नामक हादसा रचा और उन्हें तुरंत समझ में आ गया कि किंग खान के बिना चलना उनके मुश्किल है। तुरंत दोस्ती का हाथ बढ़ाया और बदले में शाहरुख ने 'हैप्पी न्यू ईयर' की बागडोर सौंप दी। 
 
फराह खान अपने पर हंसना जानती हैं और यही उनकी फिल्मों में भी नजर आता है। हास्य, रोमांस और इमोशन का तड़का लगाकर वे फिल्में बनाती हैं। भले ही उन्होंने महान फिल्में नहीं बनाई हों, लेकिन सफल फिल्में जरूर बनाई हैं। 

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