26 वर्ष पहले 'घायल' होकर सनी देओल ने मचाई थी धूम

26 वर्ष बाद घायल का सीक्वल 'घायल वंस अगेन' के नाम से आ रहा है। 'घायल' 1990 में प्रदर्शित हुई थी और सनी देओल के करियर की टॉप तीन फिल्मों में से एक है। इस फिल्म ने सनी के करियर को एक नई दिशा दी। इसे राजकुमार संतोषी ने निर्देशित किया था। वे निर्माता-निर्देशक पी.एल. संतोषी की दूसरी पत्नी के बेटे हैं। 
 
'घायल' के पहले किसी ने राजकुमार संतोषी का नाम नहीं सुना था। 1982 में गोविंद निहलानी की 'अर्द्धसत्य' से संतोषी ने अपना करियर आरंभ किया था। 'घायल' फिल्म की स्क्रिप्ट उन्होंने लिखी और इसे वे निर्देशित भी करना चाहते थे। बताया जाता है कि संतोषी यह फिल्म कमल हासन के साथ बनाना चाहते थे, लेकिन कमल जैसे बड़े सितारे तक पहुंचना उनके लिए मुमकिन नहीं था। 
 
संघर्ष के उस दौर में राजकुमार की मुलाकात अचानक सनी देओल से हो गई। सनी को उन्होंने 'घायल' की स्क्रिप्ट सुनाई। 'घायल' के पहले संतोषी ने एक भी फिल्म निर्देशित नहीं की थी। राजकुमार संतोषी के कहानी सुनाने के अंदाज से सनी बेहद प्रभावित हुए और वे न केवल अपने बैनर 'विजयेता फिल्म्स' तले फिल्म को प्रोड्यूस करने के लिए तैयार हुए बल्कि संतोषी को उन्होंने निर्देशन की बागडोर भी सौंप दी। 
कहानी अजय मेहरा नामक एक बॉक्सर की थी, जो अपने भाई-भाभी को बेहद चाहता है। अचानक उसका भाई एक दिन गायब हो जाता है और उसकी दुनिया में परेशानी के बादल छा जाते हैं। भाई को खोजते हुए उसकी मुलाकात बलवंत राय से होती है जो बहुत शक्तिशाली है। अजय के भाई की मौत हो जाती है जिसका जवाबदार बलवंत राय है। बलवंत राय के खिलाफ कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वह षड्यंत्र कर अजय को फंसा देता है। अजय जेल जाता है। उसके साथ हुए अन्याय के कारण जेल में बने उसके कुछ साथी बलवंत राय से बदला लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। जेल से वे भाग निकलते हैं और अंत में अजय अपने आपको निर्दोष साबित कर बलवंत से बदला लेता है।


राजकुमार संतोषी ने इस कहानी को इतने उम्दा तरीके से पेश किया कि दर्शकों के दिल को यह फिल्म छू गई। घायल में सनी देओल के अभिनय का गुस्सैल वाला अंदाज पहली बार देखा गया। सनी जब जेल की सलाखों के पीछे गुस्से के मारे गुर्राते थे तो सिनेमाहाल में बैठे दर्शकों की बाजुएं फड़कने लगती थी। कई लोगों ने गुस्से में आकर सिनेमाघर की सीट ही फाड़ दी। ये था सनी के अभिनय का कमाल। 

 
कहा जाता है कि 'घायल' में एक ही सीन को चार-चार बार अलग-अलग एंगल से शूट किया गया और जो सर्वश्रेष्ठ लगा उसे रखा गया। सनी के पिता धर्मेन्द्र ने फिल्म पर जम कर पैसा बहाया। 
 
'घायल' जब बन कर तैयार हुई तब किसी को भी कानों-कान खबर नहीं थी कि एक बेहतरीन फिल्म आने वाली है। संतोषी को तो लोग जानते ही नहीं थे। यह एक आम एक्शन फिल्म लग रही थी। 
 
8 जून 1990 को फिल्म प्रदर्शित करने का निर्णय लिया गया। उसी दिन इंद्र कुमार द्वारा निर्देशित 'दिल' भी रिलीज होने वाली थी। 'दिल' को लेकर दर्शकों में बेहद उत्सुकता थी क्योंकि इस फिल्म के गाने प्रदर्शन के पूर्व ही हिट हो गए थे। फिल्म में आमिर खान और माधुरी दीक्षित लीड रोल में थे। उस समय आमिर की तुलना में माधुरी कही बड़ी स्टार थी। दर्शकों का झुकाव 'दिल' की ओर था। 'घायल' को 'दिल' के सामने प्रदर्शित करने का निर्णय सही नहीं माना जा रहा था। 
 
आखिरकार दोनों फिल्में प्रदर्शित हुईं। पहले दिन 'दिल' भारी पड़ी, लेकिन जिन लोगों ने 'घायल' देखी, बाहर आकर उन्होंने जी भर तारीफ की। दूसरे दिन नजारा पलट गया। 'घायल' पर भी लोग टूट पड़े। बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। राजकुमार संतोषी नामक निर्देशक बॉलीवुड को मिला। सनी के पैर मजबूती से जम गए और एक्शन हीरो के रूप में उन्होंने अपने आपको स्थापित किया। 
 
'घायल' और 'दिल' दोनों ही सुपरहिट रही। 'घायल' को आम दर्शक के साथ-साथ फिल्म समीक्षकों ने भी खूब सराहा। फिल्म को सात फिल्मफेअर अवॉर्ड्स मिले। सनी देओल को नेशनल फिल्म अवॉर्ड की ओर से स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड मिला। 'घायल' के तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में भी रिमेक बने। 
 
2016 में सनी देओल इसका सीक्वल लेकर आ रहे हैं। इसका निर्देशन भी उन्होंने किया है और राजकुमार संतोषी की कोई चर्चा नहीं है। सनी के करियर का सूरज बादलों की ओट में है। इसीलिए उन्होंने 'घायल' की सफलता का लाभ उठाने के लिए 'घायल वंस अगेन' बनाई है। क्या एक बार फिर घायल सनी के करियर के सूरज जगमगा देगा? 

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