कौन है गोविंदा का दुश्मन?

गुरुवार, 11 सितम्बर 2014 (18:19 IST)
गोविंदा पिछले कुछ वर्षों से उन उलझनों में उलझे हुए हैं ‍जो उन्होंने खुद ईजाद की है। समस्याएं इतनी विकराल नहीं हैं जितनी उन्होंने बना रखी है। राई के दाने को मैग्नीफाइंग ग्लास से देख वे पहाड़ समझ डर रहे हैं। उनका करियर बतौर हीरो वर्षों पहले खत्म हो चुका है, लेकिन वे यह मानने को तैयार ही नहीं हैं। चरित्र भूमिकाओं के लिए वे खुद को तैयार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा हमेशा से होता आया है। अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर को भी यह अहसास होने में कुछ समय लगा कि वे अब हीरो बनने के लायक नहीं हैं। दो-चार वर्ष बाद उन्होंने चरित्र भूमिकाओं को स्वीकारना शुरू कर दिया। 
 
पिछले दिनों गोविंदा ने एक फिल्म इसलिए ठुकरा दी क्योंकि आलिया भट्ट के पिता बनने के लिए वे तैयार नहीं थे। अपने शिखर के दिनों में गोविंदा लेटलतीफी के शिकार थे। घंटों देर से पहुंच कर उन्होंने न केवल निर्माताओं का बल्कि अपना भी नुकसान किया। 'जग्गा जासूस' नामक फिल्म के लिए भी उनकी ये हरकतें जारी हैं और खबरें आई थी कि परेशान होकर अनुराग बसु ने उन्हें हटा लेने का मन बना लिया था। गोविंदा इन खबरों को गलत बताते हैं। 

दुश्मन अंदर है या बाहर?
 
फिल्म इंडस्ट्री में उनके बारे में कुछ किस्से सुनाए जाते हैं। कहते हैं कि गोविंदा के दिमाग में ये बात घर कर गई है कि उनका कोई दुश्मन फिल्म इंडस्ट्री से है जो उनके बारे में इस तरह की बातें फैलाता रहता है। वे अनजान दुश्मन से घबराते रहते हैं। कई बार अपना रास्ता इस डर से बदल लेते हैं कि कोई उनका पीछा कर रहा है। शूटिंग के दौरान एक बार उन्होंने जिद पकड़ ली की सीन में मुर्गी भी होना चाहिए जबकि मुर्गी की कोई गुंजाइश नहीं थी, आखिरकार गोविंदा की जिद मानना पड़ी। हो सकता है कि ये बातें अतिश्योक्तिपूर्ण लगे, लेकिन बिना आग के भी धुआं नहीं उठता। 
 
दरअसल गोविंदा दुविधा में उलझे हैं। वे निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। उनका वक्त बीत चुका है, लेकिन इस सच्चाई पर उन्हें यकीन नहीं है। दोस्तों ने भी इस कारण उनसे दूरी बना ली। सलमान खान ने गोविंदा को 'पार्टनर' के जरिये अवसर दिया था। बाद में उन्होंने एक और गंभीर किस्म की फिल्म गोविंदा को ऑफर की, लेकिन गोविंदा ने कोई जवाब ही नहीं दिया। डेविड धवन और गोविंदा में पिछले पांच वर्षों से बात नहीं हुई। अपनी बेटी नर्मदा को न जाने गोविंदा कब लांच करेंगे। उन्हें किसी पर भरोसा ही नहीं है। वे समझते हैं कि नर्मदा को फलां निर्देशक ने पेश किया तो उसका करियर बरबाद हो जाएगा। गोविंदा को उनके अपनों ने छला है। रिश्तेदारों के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है, इसलिए वे अब किसी भी किस्म के जोखिम से डरते हैं। दोस्त और दुश्मन के बीच फर्क करना उन्हें सीखना होगा। फिलहाल तो वे ही खुद के दुश्मन बने हुए हैं। 

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