ओम पुरी ने एक्टर की एक ऐसी परिभाषा गढ़ी, जिसने सिनेमा की दुनिया में एक मिसाल कायम की। नामुमकिन सी लगने वाली बात को मुमकिन किया। ओम पुरी का जीवन बेहद गरीबी में गुजरा। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जब वो 6 साल के थे तो एक ढाबे में बर्तन साफ किया करते थे।
एक्टर को बचपन से ही फिल्मों का शौक था और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद एक्टिंग स्कूल में ही दाखिला लेने की ठानी। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया। ओमपुरी संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में ये महसूस हुआ कि अपने साथियों की तुलना में उनकी इंग्लिश बड़ी खराब थी। वो इस बात को लेकर बेहद मायूस रहते थे।
ओम पुरी ने मिर्च मसाला, जाने भी दो यारो, चाची 420, हेराफेरी, मालामाल विकली जैसी न जानें कितनी फिल्मों में अलग-अलग तरह के किरदारों में दिखाई दिए हैं। अर्ध सत्य में दमदार अभिनय के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।