क्या प्रियंका से सीखेंगे शाहरुख?

प्रियंका चोपड़ा ने हाल ही में स्वीकारा है कि गोरा रंग करने का दावा करने वाली एक कंपनी का विज्ञापन करना उनकी बहुत बड़ी भूल थी। गलती सभी से होती है, लेकिन उसे स्वीकारना साहस भरी बात है। 
 
प्रियंका ने जब यह विज्ञापन किया था तब उनकी उम्र बहुत कम थी और वे इतनी समझदार नहीं हुई थी। दरअसल भारत में गोरे रंग को अत्यंत महत्व दिया जाता है और खूबसूरती की यह आवश्यक शर्त मानी जाती है। कोई लड़की गोरी है तो यह माना जाता है कि वे खूबसूरत है। वैवाहिक विज्ञापनों में भी जो शर्तें रखी जाती है उनमें भी लड़की गोरी होनी चाहिए वाली बात लिखी जाती है। इस तरह की धारणाओं के बीच प्रियंका चोपड़ा बड़ी हुईं इसलिए उन्होंने भी इन बातों पर विश्वास कर विज्ञापन कर लिया जबकि वे खुद सांवली हैं। अब प्रियंका की सोच बदल गई हैं और उन्हें अपने सांवले रंग पर गर्व है। 
 
ऐसी समझ हमें अनुष्का शर्मा और कंगना रनौट में भी मिलती है जिन्होंने गोरा रंग करने का दावा करने वाली क्रीम का विज्ञापन ठुकरा दिया। करोड़ों रुपये का प्रलोभन भी उन्हें डिगा नहीं पाया। उनका मानना है कि इससे सांवले रंग की लड़कियां अपने को कमतर महसूस करेंगी और वैसे भी क्रीम लगा कर भला कोई गोरा होता है क्या? 
 
बॉलीवुड के सुपरस्टार कहे जाने वाले शाहरुख खान भी एक गोरा रंग करने वाली क्रीम का विज्ञापन करते हैं। यह महिलाओं के बजाय पुरुषों की क्रीम है। शाहरुख के पास ढेर सारा पैसा है। वे जब सोते हैं तब भी पैसा कमाते रहते हैं क्योंकि उनकी विभिन्न कंपनियां उस समय काम कर रही होती है। आखिर वे इस तरह का विज्ञापन करने के लिए क्यों राजी हो गए? क्या सुपरस्टार होने के नाते उनकी कोई जवाबदारी नहीं है? क्या वे अपने ही फैंस को गुमराह करना चाहते हैं?
 
प्रियंका ने तो गलती स्वीकार ली है, जरूरी है कि शाहरुख की अपनी गलती स्वीकार कर इस तरह के विज्ञापन करना बंद करें।

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