कोविड-19 के कारण पूरा देश परेशान है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लग चुका है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इस विकट परिस्थिति का मुकाबला कैसे किया जाए। ऐसे में मनोरंजन के बारे में तो कोई सोच नहीं रहा है। वैसे भी मनोरंजन के नाम पर टीवी है, ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं, जहां लोग अपनी पसंद की फिल्म, वेबसीरिज और टीवी धारावाहिक देख रहे हैं। इसके अलावा आईपीएल भी चल रहा है। सिनेमाघर जाकर फिल्म देखने की हिम्मत कम ही लोग करें।
वैसे दक्षिण भारत में सिनेमाघर खुले हुए हैं और वहां पर बड़े सितारों की फिल्में रिलीज भी हो रही हैं। हाल ही में पवन कल्याण अभिनीत तेलुगु मूवी 'वकील साब और धनुष की तमिल फिल्म 'कारनन' रिलीज हुई हैं जिसे अच्छे खासे दर्शक मिले हैं। इसको देख लगता है कि हिंदी फिल्मों को भी दर्शक मिल सकते हैं, बशर्ते बड़े सितारों की फिल्में रिलीज हों, लेकिन अभी तो ये स्टार्स अपनी फिल्मों को रिलीज करने से डर रहे हैं। सिनेमाघर कुछ दिनों पहले शुरू भी हुए थे, लेकिन इनको दर्शक नहीं मिले।
अक्षय कुमार की सूर्यवंशी 30 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी, जिसकी रिलीज को टाल दिया गया है। 13 मई को सलमान खान की 'राधे' को रिलीज करने की बात कही गई थी, अब तक मेकर्स ने यह नहीं कहा है कि राधे की रिलीज को आगे बढ़ा दिया जाएगा, लेकिन जिस तरह के हालात हैं उसे देख कहा जा सकता है कि यह फिल्म भी आगे बढ़ जाएगी।
कंगना रनौट की 'थलाइवी' आगे बढ़ चुकी है। जून में रणवीर सिंह की 83 और रणबीर कपूर की शमशेरा को रिलीज करने की घोषणा की जा चुकी हैं, लेकिन ये फिल्में भी शायद ही घोषित तारीखों को रिलीज हो सके।
फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े एक सूत्र ने बताया- 'अभी ऐसे हालात नहीं है कि सिनेमाघर खोले जाए। ये सभी बड़े बजट की फिल्में हैं। इन्हें पूरे देश में अच्छा व्यवसाय करना होगा तभी ये अपनी लागत वसूल कर पाएंगी। जून तक लगता नहीं है कि पूरे देश के हालात अच्छे होंगे। सिनेमाघर भी जुलाई में ही शुरू हो सकेंगे। ऐसे में ये फिल्में जुलाई मध्य के बाद से लेकर अगस्त तक रिलीज हो पाएंगी।'
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए सूत्र ने कहा- 'इन फिल्मों के निर्माताओं ने तय कर रखा है कि वे अपनी फिल्मों को ओटीटी पर नहीं देंगे। इतने दिन रूके हैं ऐसे में दो-तीन माह और रूका जा सकता है।'
बड़ी फिल्म वाले रूक गए। कुछ फिल्में ओटीटी पर आ रही हैं, लेकिन दिक्कत उन फिल्म निर्माताओं को हो रही है जिनकी फिल्मों को ओटीटी वाले भी नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सिनेमाघर में रिलीज करने का एकमात्र विकल्प ही उनके पास है।
सबसे ज्यादा मुसीबत में सिनेमाघर मालिक हैं। फिल्म निर्माताओं में से कुछ का काम ओटीटी वालों ने कर दिया है, लेकिन सिनेमाघर बंद पड़े हैं। बिजली का बिल और स्टाफ की सैलेरी का खर्चा जारी है। हालत यह है कि कस्बों और गांवों के कुछ सिंगल स्क्रीन तो अब शायद ही शुरू हो सके। मल्टीप्लेक्सेस की हालत भी बहुत खराब है। कोविड-19 की सबसे बुरी मार फिल्म इंडस्ट्री पर भी पड़ी है।