लॉकडाउन के दौरान 'गहराइयां' एक्ट्रेस अनन्या पांडे ने ऐसे बिताया अपना समय

रूना आशीष

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022 (14:54 IST)
मैं हमेशा से शकुन बत्रा के साथ काम करना चाहती थी। मुझे उनकी फिल्मी बड़ी अच्छी लगती है। मजा यह आता है कि उनकी फिल्मों में कहीं कोई परी कथा या कोई बहुत मनगढ़ंत बातें नहीं होती है सच्चाई होती और वह सच्चाई जो आप और मैं शायद हर दूसरे दिन देखते हो या उसका सामना करते हो। इसलिए मुझे शकुन की फिल्में खासतौर पर से पसंद आती है। 

 
एक मैं और एक तू ऐसी फिल्मों की मैं बात करती हूं तो वह फिल्में मुझे देखने में तो अच्छी लगी है साथ ही साथ यह भी लगा कि यह हमारी जिंदगी के कितने करीब है। प्लंबर वाला कोई सीन है जैसे कपूर एंड संस में तो मेरे घर में तो शायद हर रोज होता है कि प्लंबर आ रहा है या फिर अगर मैं बात करूं कपूर एंड संस और एक मैं और एक तू में तो इनका अंत बहुत ही अलग तरीके से दिखाया गया है।
 
जरूरी नहीं है कि एंड में हीरो हीरोइन मिल ही जाते हैं। एक मैं और एक तू में तो वह दोस्त बनते हैं और सोचते हैं कि हम दोस्त ही रहेंगे। ऐसे ही ठीक है जो आमतौर पर जिंदगी में हमें देखने को मिलता है। कपूर एंड संस में भी उस फिल्म के अंत में सब कुछ ठीक हो गया। सब कुछ खुशी-खुशी रहने लगे, ऐसा नहीं होता है। अभी भी उनके परिवार में अनसुलझी ही रह गई। हर दिन हैप्पी एंडिंग नहीं हो सकती है। 
 
शकुन और उनके डायलॉग कि मैं खासतौर पर से तारीख भी करती हूं और मुझे पसंद आते हैं कि कोई बड़ी-बड़ी बातें बड़े भारी भारी से डायलॉग नहीं लिखे जाते हैं। आपके दिल में जो आता है, आपको बोल देते हैं और वही डायलॉग्स होते हैं। उनके साथ काम करना बहुत बड़ी बात है।
 
यह कहना है अनन्या पांडे का जो की फिल्म 'गहराइयां' के जरिए एक बार फिर से लोगों के सामने आ रही हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए अनन्या ने अपने इस फिल्म और जिंदगी की कई बातें पत्रकारों से साझा की। 
 
अनन्या आगे बताती हैं कि हमने इस फिल्म की शूटिंग पैंडेमिक के दौरान ही शुरू कर दी थी तो कुछ भाग जो है गोवा में फिल्माए गए और कुछ भाग मुंबई में। अब क्योंकि हम लोग पैंडेमिक में थे तो बायो बबल में रहते थे और बहुत सारे लोगों का आना जाना नहीं था। हम आपस में ही टीम के तौर पर उभर कर आ गए। हम एक दूसरे से इतनी बातें करते थे। हम लोगों का अपना एक व्हाट्सएप ग्रुप भी है जिसमें हर दिन कोई न कोई एक जोक भेजता ही रहता है। 
 
मजेदार बात तो यह रही कि मैं और सिड हम दोनों ही बड़े फिल्मी किस्म के लोग हैं। उन्हें शाहरुख पसंद है और मुझे करीना पसंद है तो जब भी मौका मिला था हम अपनी भड़ास निकाल लेते। शकुन ने हमारी इस आदत को देखते हुए तय कर लिया कि शूटिंग के दौरान एक अलग से टेक दे दिया जाए ताकि हम अपने अपने अंदर के शाहरुख और करीना वाली भड़ास निकाल सके और खुश हो सके। 
 
अपने दीपिका के साथ पहली बार काम किया कैसी रही है दोस्ती
बहुत ही मजेदार थी हमने बहुत सारा समय साथ में बिताया है। बहुत सारी बातें उनसे सीखने लायक है। मैंने देखा कि वह आज भी उसी जोश के साथ अपना दिन शुरू करती है। जैसा कि शायद उन्होंने अपने फिल्मी सफर में पहले के दिनों में शुरू किया था। वह सेट पर जल्दी आती है। बहुत अच्छे से पेश आती हैं। कहीं किसी चीज का घमंड नहीं है।
 
हम दोनों में एक बात समान है। वह यह कि हम दोनों अपने परिवारों से बहुत गहरे रूप से जुड़े हैं और वैसे भी परिवारों के सामने आपको बनावट नहीं बनानी होती है। हमने हमारी दोस्ती को किसी तनाव के तौर पर नहीं लिया बल्कि हमने उसे छोड़ दिया और फिर धीरे-धीरे हम एक दूसरे के करीब आते गए और हमारी दोस्ती और गहरी होती गई। मुझे सेट पर सच में लगने लगा था कि वह मेरी बहन ही है। 
 
यह फिल्म पैंडेमिन के समय में शूट हुई है। लॉकडाउन में आपको अपने कैरेक्टर पर काम करने का समय मिला और मिला तो किस तरीके से व्यतीत किया
यह फिल्म पिछले साल फरवरी मार्च के आसपास तय हुई उसके बाद शूट करना तय कर लिया था लेकिन फिर पैंडेमिक वाली सिचुएशन आ गई। लॉकडाउन लग गया। इस दौरान हमने बहुत सारी बातें की। हाल ही में शकुन बत्रा जो निर्देशक है उन्होंने भी अपने एक इंटरव्यू में बताया कि जितनी बातें मैंने और शकुन ने उस दौरान की है, उनमें से कई सारी बातें उन्होंने पिया के कैरेक्टर में भी डाली है। 
 
जब हमारी सिटिंग होती है, हमारी बातचीत होती है या हम ज़ूम कॉल पर मिलते तो हर बार इस कैरेक्टर को बेहतर से बेहतरीन बनाने का मौका मुझे मिलता था। रही बात मैंने पैंडेमिक में और क्या किया तो मैंने बहुत सारी फिल्में देखी और आइकॉनिक और बेहतरीन फिल्में देखी, क्योंकि जिंदगी में बहुत बार आप आइकॉनिक फिल्म नहीं देख पाते। उनसे बहुत कुछ समझने की कोशिश की। दूसरा काम मैंने किया। 
 
मैंने अपने किताबें पढ़ने की जो आदत है उसे एक बार फिर से शुरू किया। स्कूल में परीक्षा के दौरान कई बार ऐसा होता है कि आपकी अच्छी आदतें आप से छूट जाती हैं तो इस दौरान मैंने बहुत सारी किताबें पढ़ी बना। आप मुझे मानकर चलेगी। यह जवानी है दीवानी की नैना तलवार हूं। मैं जो हर जगह किताबें लेकर जाती थी। लॉकडाउन ने मुझे वह समय दिया कि मैं किताबे पढ़ सकूं। 

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