अनुष्का का कहना है कि, "हम लोग अक्सर घर पर बैठी महिलाओं को बराबरी का दर्ज़ा नहीं देते हैं। ना ही उन्हें सपोर्ट देते हैं, जबकि उनका काम आसान नहीं होता है। घर चलाना बहुत बड़े मैनेजमेंट की तरह है। घर में रहने वाली महिला के पास दस तरह के काम होते हैं। घर चलाना किसी भी तरह से बाकी के दूसरे काम की ही तरह होता है। हमें उसे पूरी इज्जत देनी चाहिए। अगर वह काम नहीं करेगी तो उसका काम कौन करेगा? वह घर में रह कर भी फ्री नहीं होती है। हमें कभी ये नहीं मानना चाहिए कि मेरा काम सबसे बड़ा है और हाउज़वाइफ का काम, काम नहीं है। सोचिए, अगर एक दिन उसने वो सब नहीं किया और बैठ गई तो आप ऑफिस कैसे जा सकेंगे? कैसे बच्चे स्कूल को लिए तैयार हो सकेंगे?"
हाल ही में अनुष्का को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता आंदोलन से जुड़ने का मौका मिला। जिस पर बात करते हुए अनुष्का ने कहा कि मैं ऑफिशियली इस मुहिम से जुड़ कर बहुत खुश हूं। लोग आज भी सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। घर तो साफ रख लेते हैं लेकिन घर के बाहर की गंदगी के बारे में नहीं सोचते। सफाई यूं तो बहुत पर्सनल चॉइस वाली बात है, लेकिन पर्यावरण का ध्यान रखना ज़रूरत वाली बात है। मेरे कोई भी काम कर देने से यदि पर्यावरण को फर्क पड़ता है तो पर्यावरण पर मेरा या सिर्फ किसी एक का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का हक है। फिर भी लोग इसके बारे में सोच समझ कर कदम नहीं उठाते हैं। लोग बहुत ही सेल्फिश हो जाते हैं।
आपकी प्रोडक्शन हाउस और क्लोदिंग लेबल के अलावा कौनसी खूबियां है?
मेरे अंदर एक बहुत छुपा हुआ आत्मविश्वास है, जिसे मैं हर एक से शेयर नहीं कर पाती हूं। मैं अपनी खूबियां सबको बोल कर नहीं बताऊंगी। मैं सोचती हूं कि मैं अपना काम करूं, उसमें आगे बढ़ूं और सफल रहूं तभी लोग नोटिस करेंगे कि मुझमें ये खूबी है या नहीं। मुझे रिस्क लेना पसंद है और मैं रिस्क लेती भी हूं। मेरे हिसाब से रिस्क लेने से आपके काम में एक तरह की अलग निखार आता है।
तो कोई सोची समझी नीति अपनाती हैं काम करने की?
नहीं.. मैं कभी वो काम नहीं करती जो सब कर सकते हैं। चाहे मुझे प्रोडक्शन हाउस चलाना हो या क्लोदिंग लेबल चलाना हो या कहानी सुननी हो उसे सिलेक्ट करना हो सा रिजेक्ट, मैं खुद के हिसाब से ही करती हूं। मैं कभी किसी को देख कर काम करना पसंद नहीं करती। मुझे कुछ अलग करते पहना पसंद है और जो काम सब लोग नॉर्मली ना करें और मैं उलट करूं ये बात मेरे लिए नॉर्मल है।