कॉलेज के दिनों में मैं बहुत शरारती था और रमेश को हाथों में उठा लेता था। रमेश के अलावा एक और दोस्त है ढांडा। उससे भी बातें करता हूं। इसके अलावा और कोई नहीं है, जिसे मैं अपना दोस्त कह सकूं। असल में मैं बहुत खुद्दार किस्म का इंसान हूं। जो लोग खुद्दार होते हैं, उनके साथ 'खुदा' होता है। जिनसे मेरी नहीं बनती, मैं उनसे किनारा कर लेता हूं। मैं जीभर के मोहब्बत करता हूं और किसी से डरता नहीं हूं। मुंबई में मेरे घर में लंगर जैसा माहौल रहता है। इसका कारण ये है कि मेरी मां कहा करती थी कि जितनी ज्यादा देर तेरी रसोई जलती रहेगी, उतनी ज्यादा तुझे बरकत मिलती रहेगी...