अक्षय कुमार के दिन इस समय बहुत अच्छे जा रहे हैं। कभी वह प्रधानमंत्री मोदी से इंटरव्यू करते दिखते हैं। उनकी मिशन मंगल भी सुपरहिट रही है। उनकी फिल्म 'पैडमैन' को राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिला है। इन दिनों वे सफलता मनाने में व्यस्त हैं। वेबदुनिया संवाददाता रूना ने पूछा कि 'पैडमैन' को पुरस्कार मिलने पर आपने ट्विंकल को क्या गिफ्ट दिया? तो बड़े आराम से उन्होंने फ़रमा दिया "गिफ्ट मैं क्यों दूं? वे फिल्म की निर्माता हैं। उन्हें गिफ्ट देना चाहिए मुझे।"
अब कौन किसे गिफ्ट दे रहा है ये जानने के लिए हमें इंतज़ार करना होगा, लेकिन इसके पहले अक्षय से मिशन मंगल की सफलता पर बात करते हैं। अक्षय कहते हैं "15 अगस्त को यह फिल्म रिलीज हुई और इसी रात चंद्रमा का रंग भी लाल हो गया था। बहुत अरसे के बाद ऐसा होता है जब हमारे अंतरिक्ष में चंद्रमा लाल रंग का हो जाता है और ये बिल्कुल मंगल के लाल रंग जैसा रंग था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पूरी सृष्टि ही हमारी फिल्म का साथ दे रही थी।"
मैं तो अपनी हर फिल्म को ले कर खुश होता हूं चाहे वो 'पैडमैन' हो या 'टॉयलेट' या 'केसरी'। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने आज तक किसी भी फिल्म में पैसा नहीं गंवाया है। मेरी बनाई सारी फ़िल्मों ने अच्छी कमाई की है। यश जौहर और यश चोपड़ा इन दोनों फिल्म निर्माताओं ने एक बात सिखाई कि फिल्म का बजट हिट तो फिल्म हिट। इसी बात को मैंने हमेशा ध्यान रखा और अपनी कंपनी चला रहा हूं।
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मैंने एक पोस्ट भी किया था अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट पर। एक माँ ने अपने बच्चे की पेंटिंग मुझे भेजी थी। उन्होंने लिखा कि कल मैंने अपने बच्चे को 'मिशन मंगल' फिल्म दिखाई और रात भर में बच्चे ने यह पेंटिंग बनाई। जिसमें उसने एक रॉकेट दिखाया, फिर मंगल बनाया। ये बच्ची लगभग 8 साल की होगी। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मेरी फिल्म कितनी कमाई कर रही है। मेरी असली कमाई तो ये रिएक्शन है। मेरी फिल्म 'टॉयलेट' को भी दूरदर्शन ने गाँव-गाँव में जा कर दिखाया। 'पैडमैन' की वजह से शायद आज लोगों में थोड़ी ही सही, लेकिन जागरूकता आई है।
मैंने अपनी ज़िंदगी में किसी प्रधानमंत्री को अपने पहले ही भाषण में स्वच्छता की बात करते नहीं देखा। स्वच्छ भारत की बात कर उन्होंने कुछ नया किया है। वे आज भी इसी बात पर टिके हुए हैं। उन्होंने विज्ञान पर भी बहुत ध्यान दिया है। बजट में विज्ञान पर कुल ख़र्चे को दो प्रतिशत से बढ़ा कर 18 प्रतिशत कर दिया है। ये मेरी सोच है कि काश ऐसा हो कि हम हमारे देश के बारे में जय जवान जय किसान को थोड़ा बदल कर जय जवान जय किसान जय विज्ञान कहना शुरू कर दें।