बेजुबान इश्क से वापसी कर रही हूं : स्नेहा उलाल

अभिनेत्री स्नेहा उलाल 'बेजुबान इश्क' के माध्यम से फिल्म जगत में वापस आ रही हैं। यह फिल्म 26 जून 2015 को रिलीज होने जा रही है। यह एक म्यूजिकल रोमांटिक फिल्म है जिसका निर्देशन और लेखन जसवंत गंगानी ने किया है। इस फिल्म में स्नेहा अमेरिका में रहने वाली एक सीधी-सादी सुशील भारतीय लड़की का किरदार निभा रही है। इस फिल्म में स्नेहा के अलावा मुग्धा गोडसे और निशांत भी हैं। फिल्म की शूटिंग जयपुर और जैसलमेर में हुई है। फिल्म 'बेजुबान इश्क' सुहानी, स्वागत और रुमझुम के प्रेम की एक बहुत ही सुन्दर त्रिकोण कहानी है। यह कहानी आज के जमाने की है और पारंपरिक मूल्यों से सजी हुई है। फिलहाल स्नेहा राजस्थान में दूसरी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं जिसमें वे अमृता देवी का किरदार निभा रही हैं। स्नेहा उलाल से खास बातचीत-
 
आप काफी समय के बाद फिल्मों में आ रही हैं। क्या कारण से आपने फिल्म 'बेजुबान इश्क' को स्वीकारा?
जी हां, मैं काफी लंबे समय के बाद आ रही हूं। दरअसल, वैसे कोई अच्छा ऑफर नहीं मिला जिसके लिए काम करने का मन करे, पर 'बेजुबान इश्क' की कहानी बहुत ही अलग और अच्छी है। लोगों को मेरी पहली फिल्म 'लकी' का किरदार जरूर याद होगा, मगर इस फिल्म में मेरा किरदार बहुत ही अलग है। इस फिल्म में मैं रुमझुम का किरदार निभा रही हूं, जो कि बहुत ही सरल, मासूम और प्यारी- सी लड़की है। इसके पहनावे से लेकर संवाद तक सब कुछ सरल हैं। मेरे लिए यह एक चुनौतापूर्ण किरदार था।
 
आप अपने किरदार रुमझुम से कितनी मिलती-जुलती हैं?
रुमझुम से मैं बिलकुल मेल नहीं खाती हूं। मैं एकदम बिंदास काऊबॉय टाइप की लड़की हूं, जो कि लड़कों के साथ घूमती और उनके साथ मस्ती करती है। दूसरी तरफ रुमझुम बहुत ही सरल, शांत तथा पारंपरिक लड़की है। सबका आदर करती है, वैसे मैं भी निजी जीवन में भी आदर करती हूं। रुमझुम के लिए रिश्ते बहुत ज्यादा महत्व रखते हैं। 
 
मुग्धा गोडसे के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? ज्यादातर दो अभिनेत्रियां एकसाथ काम करें तो कुछ न कुछ झगड़ा सुनने को मिलता है?
मैंने भी इस तरह की बात सुनी है कि एक फिल्म में दो लीड अभिनेत्रियां हों तो अनबन होती है। मगर मुग्धा बहुत ही अच्छी लड़की है, उनके अंदर दूसरी लड़कियों की तरह जरा-सा भी नखरा नहीं है। शूटिंग के दौरान हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। हम दोनों एक ही होटल में रुके थे व साथ में तैराकी और मौज-मस्ती करते थे। हम सब ने बहुत मेहनत ही है, जो कि पर्दे पर दिखाई देगी।
निर्देशक जशवंत गंगानी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
बहुत ही नम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं। मैं अपने जीवन में इतने सरल इंसान से पहली बार मिली। हमेशा प्यार से बात करते हैं। मेरे लिए यह थोड़ा अलग था, क्योंकि मैं एकदम बिंदास किस्म की हूं। एक निर्देशक के हिसाब से वे सब कुछ पहले से ही सोचकर रखे थे कि हम कलाकारों से क्या काम करवाना है। अगर किसी को कोई संदेह होता था तो वे तुरंत उसको समझा देते थे। हमारी महीनेभर की फिल्म शूटिंग राजस्थान की गर्मियों में बिना किसी परेशानी के हमारे निर्देशक की वजह से हो पाई।
 
हमने सुना था कि आप अपनी आंखों का रंग नहीं बदल रही थी, तो यह कैसे हो पाया?
इस फिल्म में मैंने काले रंग की लैंस लगाई है। मेरे निर्देशक रुमझुम के किरदार को लेकर काफी सख्त थे कि उसकी आंखों का रंग काला होगा, क्योंकि वो बहुत सादी-सी भारतीय लड़की है। मेरी उनके साथ आंखों के रंग को लेकर बहस भी हुई, मगर मुझे उनकी बात सुननी ही थी। इस लैंस की वजह से मुझे बहुत तकलीफ हुई, क्योंकि हम राजस्थान में शूटिंग कर रहे थे और बार-बार धूल, रेत उड़कर मेरी आंखों में बैठ जाती थी जिसकी वजह से बार-बार लैंस धोना पड़ता था। एक दिन तो लैंस मेरी आंखों के अंदर ही खो गया जिसकी वजह से मुझे बहुत तकलीफ हुई। (हंसते हुए) अभी भी मैं उनसे काली आंखों पर बहस करती हूं।
 
अपने सह कलाकार निशांत के बारे में बताइए? आप लोग एकसाथ और भी दूसरी फिल्में कर रहे हैं?
इस फिल्म में निशांत मेरे हीरो का किरदार निभा रहे हैं। मैं अपने काम के प्रति बहुत सतर्क रहती हूं। निशांत बहुत अच्छा लड़का है। शूटिंग के दौरान हमारी मुलाकात हुई और हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए। हम दोनों सुबह 6.30 बजे उठकर अपने संवादों की तैयारी करते थे। उनके साथ काम करने का अच्छा अनुभव रहा और हमारी तब की दोस्ती अभी तक चल रही है। इसके अलावा हम दोनों दूसरी फिल्म भी कर रहे हैं।
 
शूटिंग के दौरान कोई दिलचस्प घटना घटी हो?
तूफान, और वो भी 150 की स्पीड से तूफान आया था। हमें अपनी शूटिंग रोकनी पड़ी और हम सब होटल वापस आ गए थे। हमने राजस्थान में शूटिंग की है और यह मेरे लिए अब तक का सबसे बेहतरीन शूटिंग अनुभव रहा है। मैं पर्यावरण और जानवरों को बहुत प्यार करती हूं और उन सब के बीच शूटिंग करने से मुझे सकारात्मक शक्ति मिलती थी। मोर और दूसरे पक्षियों के साथ-साथ जानवरों के बीच शूटिंग करना मेरे लिए कमाल का अनुभव रहा। राजस्थान में और वो भी गर्मियों मैं शूट करना अगर मुमकिन हुआ तो इन सबकी वजह से ही हो पाया। जब कभी मैं थक जाती थी तो मोर की तरह आवाज निकालती थी तो सभी बोलते थे कि हां लगता है, अब स्नेहा काम करना नहीं चाहती है।
 
यह एक म्यूजिकल फिल्म है। संगीत के बारे में बताइए और आपका पसंदीदा गाना कौन सा है?
फिल्म 'बेजुबान इश्क' अब तक का मेरे लिए सबसे बेहतरीन एलबम है। मेरा पसंदीदा गाना है 'दिल परिंदा...' क्योंकि मैं दर्द से भरे हुए गानों को बहुत पसंद करती हूं। यह फिल्म के अंत और शुरुआत में बजता है। मुझे इस गाने पर रोना था और इस गाने की वजह से ही मैं बिना ग्लीसरीन की मदद से और बहुत ही आसानी से रो पाई। 

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