18 अगस्त को बॉलीवुड और मराठी फिल्म इंडस्ट्री ने एक दिग्गज अभिनेता खो दिया। अच्युत पोतदार, जिनके चेहरे की मासूमियत और अभिनय की सहजता दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ती थी, अब हमारे बीच नहीं रहे। वे लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।
फिल्मों और टीवी में गहरी छाप
अच्युत पोतदार ने हिंदी और मराठी सिनेमा में 125 से अधिक फिल्मों और 100 से ज्यादा टीवी शोज़ में काम किया।
उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में 3 इडियट्स, लगे रहो मुन्नाभाई, तेजाब, हम साथ साथ हैं, रंगीला, अर्ध सत्य, परिणीता, वास्तव, इश्क, दबंग 2 और मराठी फिल्म वेंटिलेटर शामिल हैं।
देर से मिली फिल्म इंडस्ट्री में पहचान
दिलचस्प बात यह है कि अच्युत पोतदार ने 44 साल की उम्र में अभिनय की दुनिया में कदम रखा, वह भी बिना किसी औपचारिक ट्रेनिंग के। इस उम्र में जहां लोग करियर से संन्यास लेने की सोचते हैं, वहीं पोतदार ने अभिनय को नया जीवन बना लिया।
सेना से प्रोफेसर और फिर इंडियन ऑयल तक
फिल्मी करियर से पहले अच्युत पोतदार का जीवन भी उतना ही रोचक रहा। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के बाद रीवा (मध्यप्रदेश) में प्रोफेसर के रूप में करियर शुरू किया। इसके बाद वे भारतीय सेना में शामिल हुए और 1967 में कैप्टन के पद से रिटायर हुए।
इसके बाद उनका लंबा करियर इंडियन ऑयल कंपनी में रहा, जहां उन्होंने 25 वर्षों तक काम किया और 1992 में रिटायर हुए। इसी दौरान उन्होंने अभिनय शुरू किया और धीरे-धीरे फिल्मों और टीवी शोज़ में अपनी अलग पहचान बना ली।
सादगी और सहजता के प्रतीक
अच्युत पोतदार उन अभिनेताओं में से थे जिनकी अदाकारी बिना किसी बनावट के सीधे दर्शकों के दिल तक पहुंचती थी। चाहे बुजुर्ग का किरदार निभाना हो या किसी भावुक सीन को आंखों के इशारे से दर्शाना, उनकी प्रस्तुति हमेशा प्रभावशाली रही।