बिधाननगर साउथ पुलिस स्टेशन में फिल्म के साथ निर्माताओं के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह विवाद 'केसरी चैप्टर 2' के एक सीन को लेकर शुरू हुआ है, जिसमें बंगाल के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों खास तौर पर प्रतिष्ठित बंगाली क्रांतिकारी खुदीराम बोस और बरिंद्र कुमार घोष को गलत तरीके से पेश किया गया है।
टीएमसी के अनुसार, फिल्म में खुदीराम बोस को 'खुदीराम सिंह' के रूप में संदर्भित किया गया है और बरिंद्र कुमार घोष को अमृतसर के 'बीरेंद्र कुमार' के रूप में प्रस्तुत किया गया है। टीएमसी के नेताओं ने इसे 'जानबूझकर इतिहास को विकृत करना' और 'बंगाल का गहरा अपमान' बताया है।
टीएमसी प्रवक्ता कुनाल घोष ने कहा, जिन महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए जान दी, उनके नाम ही बदल दिए गए। यह इतिहास से छेड़छाड़ नहीं, बल्कि बंगाल की अस्मिता पर हमला है। इस तरह की फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट कैसे मिला।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिल्म का नाम लिए बिना मेकर्स पर भाजपा के साथ मिलकर बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कमतर आंकने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बंगाली क्रांतिकारियों द्वारा निभाई गई भूमिका को कमतर आंकने की कोशिश की जा रही है। हम इसकी निंदा करते हैं। भाजपा बंगाल और हमारी सांस्कृतिक विरासत को निशाना बना रही है।