अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी 2024 को होगी। इस मामले पर फिल्म के मेकर्स का कहना था कि क्योंकि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है, इसलिए इसकी रिलीज को रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि 'कलात्मक अभिव्यक्तियों' को दबाया नहीं जा सकता।
कोर्ट ने इस मामले में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के महासचिव नारा लोकेश की याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने फिल्म को प्रोपेगेंडा करार देते हुए, निर्माताओं पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था। नारा लोकेश ने अपनी याचिका में कहा कि फिल्म में सीधे हमारे नेता और पार्टी का नाम लिया गया है और हमें खुलेआम बदनाम किया गया है।