एक सवाल... रितिक रोशन ने क्यों की मोहेंजो दारो?

मोहेंजो दारो देखने के बाद न केवल फिल्म समीक्षक बल्कि रितिक के फैंस की जुबां पर भी यही सवाल है कि उन्होंने क्या सोच कर 'मोहेंजो दारो' जैसी फिल्म करने के लिए हां कहा। फिल्म की कहानी सुन कर कोई भी बता देगा कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है कि यह फिल्म की जाए। 
 
मोहेंजो दारो का तो कहानी से कोई लेना-देना ही नहीं है। पृष्ठभूमि से मोहेंजो दारो हटाकर भारत का कोई गांव या शहर भी बता दिया जाए तो फिल्म पर रत्ती भर असर नहीं पड़ेगा। जिस मोहेंजो दारो को लेकर इतना हो-हल्ला था फिल्म में वो मोहेंजो दारो कहीं नजर नहीं आया। न कहानी में दम और न भव्यता ऐसी की दर्शक चकाचौंध हो जाए। 
 
16-17 वर्ष से रितिक रोशन फिल्म उद्योग में हैं। उनके पिता, चाचा और दादा भी इसी इंडस्ट्री का हिस्सा वर्षों तक रहे हैं। क्या रितिक में इतनी समझ नहीं है कि वे किस तरह की फिल्म करने जा रहे हैं? इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर क्या असर होगा? क्या रितिक के उन फैंस के प्रति कोई जवाबदारी नहीं है जो टिकट खरीदकर फिल्म देखते हैं? रितिक ने तो 50 करोड़ लिए और चल दिए। ऐसा नहीं है कि फिल्में फ्लॉप नहीं होती हैं। ज्यादातर कलाकारों की फिल्म पिटती हैं, लेकिन 'मोहेंजो दारो' की कहानी सुन कर तो कोई भी बता देता कि यह फिल्म नहीं चलने वाली। ऐसे में रितिक का फिल्म साइन करना आश्चर्य की बात है। 
रितिक का करियर पिछले कुछ वर्षों से डांवाडोल चल रहा है। वे अपनी घरेलू और स्वास्थ्य की समस्या के चलते करियर पर ध्यान नहीं दे पाएं। महीनों-महीनों बाद उनकी फिल्में प्रदर्शित होती हैं और दर्शक उनको भूल जाते हैं। रितिक ने जिस शानदार सफलता के साथ करियर शुरू किया था, वैसी गति वे कायम नहीं रख पाए। कम फिल्में करना और फिल्मों का सही चयन नहीं करना उनके लिए खास परिणाम लेकर नहीं आए। कहां तो वे 'खान' तिकड़ी से आगे निकलने की होड़ में थे, लेकिन अब वे अक्षय और अजय देवगन से भी नीचे हो गए हैं। उनमें सुपरस्टार बनने की संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन वे अपनी ही खूबियों का दोहन नहीं कर पा रहे हैं। 
 
सुनने में आया है कि पिता राकेश रोशन भी रितिक के फिल्मों के चयन से खुश नहीं हैं। राकेश रोशन ने रितिक के करियर को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब तक राकेश की बातें रितिक सुनते थे, रितिक करियर में सफल हो रहे थे। काइट्स और मोहेंजो दारो जैसी फिल्मों के लिए राकेश ने रितिक को मना कर दिया था, लेकिन रितिक नहीं माने और इन फिल्मों ने रितिक के करियर का कबाड़ा किया। बीच-बीच में कृष सीरिज की फिल्में बना कर रितिक को राकेश उबारते रहे हैं। 
 
लार्जर देन लाइफ फिल्मों के प्रति रितिक का बहुत रुझान है। यही कारण है कि वे ज्यादातर इस तरह की फिल्में चुनते हैं। वे कुछ नया करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। केवल परदे पर खूबसूरत बने रहने से कुछ नहीं होगा। आज सलमान खान जैसा सितारा प्रयोग करने लगा है तो भला रितिक प्रयोग करने से क्यों घबरा रहे हैं? 
 
रितिक इस बात का संतोष कर सकते हैं कि मोहेंजो दारो भले ही फ्लॉप हुई हो, ले‍किन वे अभी फ्लॉप नहीं हुए हैं। समय उनके पास है। स्टारडम की चमक अभी फीकी नहीं हुई है। जरूरत है नए सिरे से सोचने की।

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