जावेद अख्तर कभी भी अपनी बेटी ज़ोया की तारीफ करते नहीं थकते हैं। उन्हें ज़ोया पर गर्व है। किसी भी मामले में उन्हें ज़ोया से बात करना और उनकी राय लेना पसंद है। उनके हिसाब से ज़ोया सामने वाले इंसान के दृष्टिकोण को को बखूबी समझती हैं। उनकी इसी क्षमता की वजह से वे इतना बेहतरीन लेखन कर पाती है। वे जो भी लिखती हैं, अपने दिल से लिखती हैं। अलग-अलग तरह का अनुभव लेना उन्हें बहुत पसंद है और उनका अनुभव उनके लेखन में झलकता है।