बात तब की है जब अक्षय कुमार फिल्म इंडस्ट्री में नहीं आए थे। वे नई दिल्ली से ज्वैलरी खरीदते और मुंबई जाकर बेचते। इससे उन्हें अच्छा फायदा हो जाता। जब पहली बार उन्होंने मुंबई जाकर ज्वेलरी बेची तो लगभग 6 हजार का लाभ हो गया। दिल्ली से लौटने के पहले अक्षय ने मुंबई से पूरे 6 हजार की खरीददारी कर डाली। ढेर सारा सामान लिए अक्षय रेल से दिल्ली की ओर रवाना हुए। लौटते हुए उनकी रेल चंबल से गुजरी, उस समय अक्षय लेटे हुए थे। अचानक कुछ डाकू उसी बोगी में घुस आए जिसमें अक्षय लेटे हुए थे। डाकुओं ने अक्षय का सामान उनकी आंखों के सामने उठा लिया और बेचारे अक्की देखते ही रहे। कुछ न बोल सके। उनकी मेहनत की कमाई को डाकू ले उड़े। यदि फिल्म होती तो क्या अक्षय की नजरों के सामने उनका सामान भला कोई ले जा सकता था?