चेन कुली की मेन कुली

IFM


निर्माता : सारेगामा-एचएमवी
निर्देशक : किट्टू सलूजा
संगीत : सलीम-सुलैमान
कलाकार : राहुल बोस, ज़ैन खान, राजेश खेरा, कपिल दे

भारत में बच्चों के लिए फिल्में बेहद कम बनाई जाती है। यदाकदा ही कोई निर्माता बच्चों के लिए फिल्म बनाने का साहस करता है। ‘चेन कुली की मेन कुल’ ऐसी ही बच्चों की फिल्म है जिसमें 13 वर्ष के बालक और उसके सपनों को दिखाया गया है।

करण एक अनाथ बच्चा हैं जो अनाथालय में रहता है। करण के दो सपने हैं। उसे माँ-बाप मिलें और वह बहुत बड़ा क्रिकेटर बनें। भोलू दादा बहुत ही प्यारे इंसान है। वे अक्सर करण को भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा 1983 में जीते विश्व कप की कहानियाँ सुनाया करते थे। करण का प्रेरणा स्त्रोत पूर्व भारतीय खिलाड़ी और कप्तान कपिल देव है।

डब्बू करण का सबसे अच्छा दोस्त हैं। एक दिन वह करण को एक पुराना बेट देता हैं और कहता है कि इसी बेट से खेलते हुए कपिल देव ने भारतीय टीम को विश्वकप का खिताब जितवाया था। यह एक जादुई बल्ला है।

एक दिन करण उसी बेट से खेलता रहता है। तभी वहाँ से गुजर रहे भारतीय क्रिकेट टीम के कोच की नजर करण पर पड़ती हैं और वे उसकी बल्लेबाजी से काफी प्रभावित होते हैं। उस समय भारतीय क्रिकेट टीम खराब प्रदर्शन के दौर से गुजर रही होती है।

करण को भारतीय टीम में चुन लिया जाता है। वह भारतीय टीम के कप्तान वरूण के साथ प्रारंभिक बल्लेबाज बन जाता है। पूरे भारत में करण की चर्चा होती है। लोगों को समझ में नहीं आता कि उसे क्यों चुन लिया गया। लेकिन करण अपने जादुई बेट से ऐसी बल्लेबाजी करता है कि वह पूरे देश का हीरो बन जाता है।

दुनिया में सिर्फ राघव ही ऐसा शख्स रहता है जिसे करण से नफरत रहती है। राघव को लगता है कि यदि करण के पास वह जादुई बल्ला नहीं होता तो वह इतना बड़ा खिलाड़ी नहीं बनता। वह करण के उस बल्ले को पाने की कोशिश करता है

करण की अपने कप्तान वरूण से बहुत अच्छी दोस्ती हो जाती है। वरूण के अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं रहते है। करण वरूण से कहता है कि दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कुछ नहीं होता है और वह वरूण और उसके पिता को फिर एक करने में कामयाब होता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच पाँचवां और आखरी मैच खेला जाने वाला है। करण के बैट को तोड़ दिया जाता है। करण नर्वस हो जाता है। तभी वरूण उसे दिलासा देते हुए कहता है जादू उस बैट में नहीं बल्कि तुम्हारे अंदर है। यदि तुम्हारे अंदर विश्वास है तो दुनिया तुम्हारे पैरों तले होंगी। करण अपना खोया हुआ आत्मविश्वास फिर हासिल कर लेता है।

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