एक जैसे नाम होने की वजह से जिंदगी में कैसी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, इसी को आधार बनाकर ‘वन टू थ्री’ फिल्म का निर्माण किया गया है। फिल्म में लक्ष्मीनारायण नामक तीन किरदार हैं।
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लक्ष्मीनारायण : एक (तुषार कपूर) ये एक माफिया परिवार से हैं, लेकिन अपने आपको अब तक खतरनाक साबित नहीं कर पाए हैं। इनकी माँ चाहती हैं कि उनका बेटा कुछ हत्याएँ करे, ताकि वह जिंदगी में सैटल हो सके।
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लक्ष्मीनारायण : दो (सुनील शेट्टी) दूसरे नंबर के लक्ष्मीनारायण बहुत ही सीधे-सादे और काम को तरीके से करना पसंद करते हैं। उन्होंने दार्जिलिंग से एमबीए किया है और अपने बॉस को खुश करने में लगे रहते हैं। वे दो कानून का पालन करते हैं : (1) बॉस हमेशा सही होता है। 2) यदि बॉस गलत है तो कानून नंबर एक देखिए।
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लक्ष्मीनारायण : तीन (परेश रावल) ये जनाब पहले फुटपाथ पर बैठकर अंडरवियर बेचते थे। अब इनकी अंत:वस्त्र बनाने की फैक्टरी है। कहा जाता है कि ये आदमी को एक बार देखकर ही उसके अंत:वस्त्र का साइज बता सकते हैं।
कहानी कुछ इस प्रकार है :
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पापा (मुकेश तिवारी) नामक डॉन से दस करोड़ रुपयों के हीरे किसी ने चुरा लिए हैं। ये हीरे प्रेम में खोए हुए दो प्रेमी चंदू (उपेन पटेल) और चाँदनी (तनीषा) के हाथ लग जाते हैं। दोनों इन हीरों को एक पुरानी खटारा कार में इस उम्मीद के साथ छिपा देते हैं कि इसे कोई खरीदेगा नहीं।
पापा अपने दो बेवकूफ साथियों अलबर्ट (व्रजेश हिरजी) और पिंटो (मनोज पाहवा) के साथ इन हीरों की तलाश में हैं। गुस्सैल पुलिस ऑफिसर मायावती चारुलता (नीतू चंद्रा) इन अपराधियों के पीछे हैं।
कई बार हत्या की कोशिशों में नाकाम रह चुके लक्ष्मीनारायण (तुषार कपूर) को अपनी काबिलियत सिद्ध करने का एक अवसर मिलता है। उसे पांडिचेरी में एक हत्या करने की सुपारी मिलती है। वह पांडिचेरी स्थित होटल ब्लू डायमंड में आकर ठहरता है।
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दूसरे लक्ष्मीनारायण (सुनील शेट्टी) भी इसी होटल में आकर ठहरते हैं। वे अपनी बॉस लैला (समीरा रेड्डी) के लिए एक कार लेने के लिए यहाँ आए हैं। लैला का ऑटो शोरूम कर्ज की वजह से बंद होने के कगार पर है। वह अपने शोरूम को बचाने के लिए पुरानी कार खरीदने और बेचने काम भी शुरू करती है। लैला को शायद पता नहीं है कि वह जिस कार का सौदा करने वाली है, उसमें करोड़ों के हीरे हैं।
तीसरे लक्ष्मीनारायण (परेश रावल) भी उसी होटल में आकर ठहरते हैं। वे यहाँ पर उभरती हुई डिजाइनर जिया (ईशा देओल) से अंत:वस्त्र की डिजाइन लेने आए हैं।
तीनों लक्ष्मीनारायण एक ही जगह पर एक ही समय आकर ठहरे हुए हैं। तीनों किसी न किसी का इंतजार कर रहे हैं। तीनों को एक-एक पत्र और फोटो मिलते हैं।
पहले लक्ष्मीनारायण (तुषार) को गलती से जिया का फोटो मिल जाता है। वह जिया को मारने पहुँच जाता है, लेकिन खुद ही उसका शिकार हो जाता है। यानी कि उससे प्यार करने लगता है।
दूसरे लक्ष्मीनारायण (सुनील) को पापा की फोटो मिलती है, जिसको मारने की सुपारी पहले लक्ष्मीनारायण को मिली थी। दूसरा लक्ष्मीनारायण कार लेने के लिए पापा के पास पहुँच जाता है। पापा को पता चल जाता है कि उसे कोई मारने आने वाला है। वह इस दूसरे लक्ष्मीनारायण की जमकर धुलाई करता है।
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तीसरे लक्ष्मीनारायण को लैला की फोटो मिल जाती है। वह उससे अंडरवियर की डिजाइन के बारे में पूछताछ करता है।
इसी बीच चंदू और चाँदनी उस कार का सौदा रोकने की कोशिश करते हैं, जिसमें उन्होंने हीरे छिपाकर रखे हैं। परिस्थितियाँ कुछ इस तरह की निर्मित होती हैं कि हँसी रोक पाना मुश्किल हो जाता है।