तमंचे की कहानी

बैनर : फैशनटीवी फिल्म्स, ए वाइल्ड एलिफेन्ट्स मोशन पिक्चर्स
निर्माता : सूर्यवीर सिंह भुल्लर
निर्देशक : नवनीत बहल
संगीत : कृष्णा
कलाकार : निखिल द्विवेदी, रिचा चड्ढा
रिलीज डेट : 10 अक्टोबर 2014 

तमंचे की कहानी की शुरुआत तब होती है जब उत्‍तरप्रदेश के एक देहाती किडनैपर मुन्ना (निखिल द्विवेदी) की मुलाकात दिल्‍ली में रहने वाली बाबू (रिचा चड्ढा) से होती है, जो ड्रग्‍स बेचने का काम करती है। चूंकि ये दोनों ही अपराधी हैं, इसलिए इनकी मुलाकात पुलिस की हिरासत में होती है। इन दोनों अपराधियों के बीच रोमांस की शुरुआत तब होती है, जब इन दोनों को एक साथ भागने का मौका मिल जाता है। इस दौरान कुछ समय तक इन्‍हें साथ में रहना पड़ता है। आखिरकार जब दोनों आजाद हो जाते हैं, तो बाबु अपने रास्‍ते का फैसला करती है। वह अपराध की दुनिया और मुन्‍ना के बीच अपने जाने पहचाने क्राइम के रास्‍ते को चुनती है। 

अब मुन्‍ना जो बाबू से प्‍यार करने लगा है, दिल्‍ली की गलियों में उसे ढूंढने की कोशिश करने लगता है। वहां पहुंचकर उसे पता चलता है कि बाबू दिल्‍ली के एक खूंखार डॉन राणा की गर्लफ्रेंड है। मुन्‍ना, राणा की गैंग में शामिल हो जाता है और बाबू को उससे छीनने के सपने देखने लगता है। इस बार बाबू भी मुन्‍ना के लिए अपने जज्‍बातों को रोक नहीं पाती है और इस खूंखार गैंग्‍स्‍टर राणा की नजरों के सामने लेकिन चोरी-छिपे दोनों का लव अफेयर शुरू हो जाता है। 
 

अपराध की इस खतरनाक दुनिया में राणा के बचने के लिए उन्‍हें अपराधियों की तरह ही लगातार काम करते रहना पड़ता है। वे ड्रग्‍स की तस्‍करी और लूट की वारदातों में शामिल होते हैं। इन वारदातों के दौरान वे साथ होते हैं और उनका प्‍यार भी परवान चढ़ने लगता है। दूसरी ओर मुन्‍ना और बाबू के प्‍यार से अनजान राणा अपनी बढ़ती दौलत से खुश होता है।
 

डकैतियों के चलते शहर और प्रशासन मुन्‍ना और बाबू से परेशान हो जाता है। इस प्रेमी युगल के लिए और सबसे बड़ी घटना यह होती है कि एक लूट के दौरान उनके हाथों एक पुलिसवाले की मौत हो जाती है। अब इन दोनों के साथ इनके बॉस गैंग्‍स्‍टर राणा को भी छुपकर रहना होता है। अचानक राणा यह फैसला लेता है कि वह देश छोड़ रहा है और अपने साथ बाबू को लेकर जा रहा है। अब मुन्‍ना और बाबू के पास एक ही रास्‍ता है और वह है राणा को जान से मार देना। 
 

कहानी में दूसरा मोड़ तब आता है जब राणा को उनके अफेयर के बारे में पता चल जाता है। अब मुन्‍ना और बाबू को न सिर्फ कानून से बचना है बल्‍कि राणा से भी खुद की जान का बचाना है। राणा की गैंग और पुलिस के बीच हो रहे एक शूट के दौरान उन्‍हें राणा को मार देने का एक मौका मिलता है। इस बार वे राणा को मार देते हैं और पुलिस से बचकर भागते हैं। 
 

अब मुन्‍ना-बाबू और पुलिस के बीच चूहे बिल्‍ली का खेल शुरु होता है। लेकिन पुलिस ने इस बार उन्‍हें गिरफ्तार करने के बजाया उनका एनकाउंटर करने का प्‍लान बनाया है। तो क्‍या मुन्‍ना और बाबू अपने प्‍यार को जिंदा रखने के लिए खुद भी जिंदा रह पाएंगे या किसी अन्‍य एनकाउंटर में उन्‍हें मार गिराया जाएगा?

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