द आयरन लेडी : फिल्म समीक्षा

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सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर पुरस्कार हासिल करने वाली मेरिल स्ट्रीप हैं जिन्हें "मोस्ट टैलेंटेड एंड रिस्पेक्टेबल एक्ट्रेस" के खिताब से नवाजा जाता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर यानी फौलादी शख्सियत की किरदार "द आयरन लेडी" के लिए उनका चयन ही किरदार को ईमानदारी के साथ न्याय मिलना तय था। हालाँकि मेरिल और मार्गरेट दोनों ही की शख्सियत में कमाल का विरोधाभास है। लेकिन तब भी यह फिल्म मेरिल स्ट्रीप की अदाकारी के चलते मार्गरेट थैचर को यादगार बना गई।

सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी के साथ थैचर को कई विवादास्पद फैसले भी लेने पड़े। दुनियाभर में उनकी ख्याति आयरन लेडी की रही। लेकिन इस फौलादी शख्सियत के पीछे भी एक नाजुकमिजाज औरत है जिसे पेश करने का काम किया "द आयरन लेडी" ने। ग्रेंथम (पूर्वी इंग्लैड के छोटे शहर) से लंदन के पार्लियामेंट तक का सफर तय करने वाली मार्गरेट ने कुछ समय किराने की दुकान पर भी काम किया और उनका मानना था कि "इंसान की जिंदगी का कोई मकसद जरूरी है और मैं बावर्चीखाने के बर्तनों के बीच आँसू बहाना नहीं चाहती। मैं वो परिवर्तन लाना चाहती हूँ, जो मैं देखना चाहती हूँ।" अपने इन्हीं मजबूत इरादों को उन्होंने अमलीजामा पहनाया।

प्रधानमंत्री के बतौर अपनी हुकूमत खत्म होने के बाद मार्गरेट थैचर (मेरिल स्ट्रीप) अब जिंदगी की साँझ में अपने ओहदे के बगैर जी रही हैं। उनके पति (जिम ब्रॉडबेंट) की मौत के बाद निहायत अकेली मार्गरेट अपने आप से बातचीत करती हैं, जिंदगी के सफहों को पलटती हैं, जो फिल्म का केंद्रीय कथानक है। फ्लैश बैक से सुलझते जाने वाली उनकी जिंदगी की फिल्म ब्रिटेन के सियासत की दिशा और दशा को बयाँ करती है। हमेशा से सियासत के केंद्र में रहीं थैचर को पद से हटाने में जो कुछ भी हालात पैदा किए गए उनका निर्देशन संदर्भ सहित फिल्म का हिस्सा बन कथानक में शामिल है।

थैचर के दौर में कई विवादास्पद फैसले हुए। उनकी झलक या कैफियत का हिस्सा भी सामने आया है। दुनिया को या ब्रिटिश जनता को भी जो फैसले अन्यायकारक लगे ऐसी सियासी अनिवार्यता का जो सामना उन्होंने किया, वह तमाम सियासी सफर पेश है। सियासी और प्रशासकीय क्षेत्र में अपना दबदबा पैदा करने वाली थैचर का अकेलापन और उनके सहयोगियों का साथ छोड़ना दिल को छू जाने वाला है। इसके बाद याददाश्त खो चुकी थैचर का अपने मृत पति से बातचीत करना- जिसके चलते इसे मार्गरेट और उनके पति की प्रेमकहानी भी कह सकते हैं। ब्रिटिश इतिहास को रुपहले पर्दे पर लाने की जो कोशिश जारी है निश्चित तौर पर कहा जा सकता है उसी का एक और सुनहरा सफहा रही फिल्म "द आयरन लेडी"।

- ज्योत्स्ना भोंडवे

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