बिल्लू : बार्बर और सुपरस्टार की दोस्ती

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निर्माता : गौरी खान
निर्देशक : प्रियदर्शन
गीतकार : गुलजार, आशीष पंडित, सईद कादरी, नीरज श्रीधर
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : शाहरुख खान, इरफान खान, लारा दत्ता, ओमपुरी, असरानी, राजपाल यादव, मनोज जोशी। विशेष भूमिका में - दीपिका पादुकोण, करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा।
रेटिंग : 3/5

प्रियदर्शन को ग्रामीण जीवन से लगाव है और बीच-बीच में वे अपनी फिल्मों में गाँव दिखाते रहते हैं। ‘बिल्लू’ में उन्होंने बुदबुदा गाँव के रहने वाले लोगों को दिखाया है, जो उत्तरप्रदेश में कहीं पर है। प्रियदर्शन की फिल्मों में इस बात की गारंटी होती है कि उनकी फिल्में बोर नहीं करतीं, भले ही वे फॉर्म में नहीं हों। बिल्लू प्रियन की कोई महान फिल्म नहीं है, लेकिन पूरे समय तक बाँधकर रखती है।

बिल्लू (इरफान खान) एक नाई है, जिसकी दुकान नहीं चलती। उसके बच्चों सहित पूरे गाँव वाले उसका मजाक उड़ाते हैं। एक दिन उसके बुदबुदा गाँव में सुपर स्टार साहिर खान (शाहरुख खान) शूटिंग के लिए आता है। उसे देखने के लिए पूरा गाँव उमड़ पड़ता है। पूरे गाँव में यह खबर फैल जाती है कि साहिर बिल्लू का बेहद अच्छा दोस्त है। बिल्लू के बच्चे और पत्नी बिंदिया (लारा दत्ता) उससे जिद करते हैं कि वह उनको साहिर से मिलवा दे। गाँव वाले बिल्लू पर मेहरबानी करने लगते हैं, इस उम्मीद के साथ कि बिल्लू साहिर को उनके घर या स्कूल में लेकर आए।

बिल्लू बड़ा संकोची है। उसे उम्मीद नहीं है कि साहिर उसे अब पहचानता होगा और वह सबको टालता रहता है। आखिरकार एक दिन सबके सब्र का बाँध टूट जाता है और बिल्लू को धोखाधड़ी के जुर्म में जेल भी जाना पड़ता है। शूटिंग के आखिरी दिन साहिर एक भाषण में बताता है कि वह अपने दोस्त बिल्लू को ढूँढ रहा है, जिसने बचपन में उसकी बहुत सहायता की थी। फिल्म की अंतिम रील में उनकी मुलाकात होती है।

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कृष्ण और सुदामा से प्रेरित इस साधारण कहानी में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं हैं। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है क्योंकि पूरी फिल्म में बिल्लू उलझा रहता है कि वह साहिर से मिले या नहीं। आधी-अधूरी कोशिश करता रहता है। दर्शक जानना चाहते हैं बिल्लू और साहिर की दोस्ती के बारे में और इसे अंत में बताया जाता है। शुरू से आखिरी तक के हिस्से को छोटे-छोटे मनोरंजक घटनाक्रमों के जरिये भरा गया है। शाहरुख खान का इस्तेमाल प्रियन ने चतुराई से किया है। उनकी संक्षिप्त भूमिका को इस तरह से पेश किया है कि फ्रेम में नहीं होने के बावजूद वे उपस्थित रहते हैं। लोगों की बातचीत में, दीवारों पर पोस्टर्स के रूप में या फिर बच्चों की हेअर स्टाइल में।

फिल्म का क्लाइमैक्स अच्छा है, जब बिल्लू और साहिर की मुलाकात होती है। बिल्लू की खस्ता हालत के बावजूद साहिर को उसकी आर्थिक मदद करते हुए नहीं दिखाया गया क्योंकि शायद इससे उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती। इस सीन के पहले शाहरुख के भाषण वाला दृश्य उनके शानदार अभिनय से अच्छा बन पड़ा है, जब वे बिल्लू और अपनी दोस्ती के बारे में गाँव वालों को बताते हैं।

इरफान खान शानदार अभिनेता हैं और बिल्लू के चरित्र में वे डूब गए हैं। एक सीधा-सादा, दिल का सच्चा और संकोची इनसान, जिसे उसके बच्चे भी डाँटते हैं, को उन्होंने परदे पर खूबसूरती के साथ पेश किया है। लारा दत्ता ने इरफान खान का साथ अच्छी तरह निभाया है, लेकिन उनका मेकअप उनकी गरीबी की तस्वीर नहीं पेश करता। सुपरस्टार के रूप में शाहरुख खान को सिर्फ अपने आपको पेश करना था, जो उनके लिए बाएँ हाथ का खेल था। सलमान खान से उनका झगड़ा और अक्षय कुमार से उनकी प्रतिद्वंद्विता के चलते उन्होंने एक दृश्य में सफाई दी है कि फिल्म इंडस्ट्री एक परिवार की तरह है, जिसमें छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं।

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फिल्म में जो ग्लैमर वाला हिस्सा गायब था, उसकी कमी को शाहरुख ने करीना कपूर, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा के साथ गाने फिल्माकर पूरा किया है। तीनों नायिकाओं में दीपिका अपने हॉट लुक की वजह से बाजी मार लेती हैं। ओमपुरी, असरानी और राजपाल यादव ने प्रियदर्शन से अपने संबंधों की खातिर यह फिल्म की है क्योंकि उन्हें ज्यादा फुटेज नहीं मिले हैं।

प्रीतम का संगीत ठीक-ठाक है और एक-दो गीत सुनने लायक हैं। ‍मनीषा कोर्डे के संवाद चुटीले हैं। बॉडी गार्ड्‍स से घिरे शाहरुख एक दृश्य में कहते हैं कि वे ऐसे सुपरस्टार हैं जो महिलाओं के बजाय पुरुषों से घिरे रहते हैं।

कुल मिलाकर ‘बिल्लू’ साफ-सुथरी और मनोरंजक फिल्म है।